L19 DESK (Anshu) : क्या ईडी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जानबूझकर परेशान कर रही है? और केवल मुख्यमंत्री ही नहीं, बल्कि गैर भाजपाई सरकारों को भी क्या जान बूझकर ईडी अपने निशाने पर ले रही है? ये सवाल पिछले 9 सालों से विपक्षी दल कह रही है। वहीं, हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने भी ईडी को अदालत में फटकार लगायी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी मामले में बदला लेने जैसी कार्रवाई न करें। जांच की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिये। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी आरोपी को गिरफ्तार करने के दौरान उसकी वजह की एक लिखित कॉपी सौंपनी जरूरी है। जिससे लिखित कारणों के बुनियाद पर कोई भी आरोपी अपने वकील की मदद ले सकता है। ये बातें कोर्ट ने रियल एस्टेट ग्रुप एम3एम के डायरेक्टरों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा।
दरअसल, ईडी ने इस कंपनी के दो डायरेक्टर पंकज बंसल और बसंत बंसल को मनी लाउंड्रिंग के मामले में 14 जून को पूछताछ के लिये बुलाया था। इसके बाद उसी दिन उन्हें एक दूसरे केस में गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी का विरोध करते हुए दोनों डायरेक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जिसमें कहा गया कि ईडी ने गिरफ्तारी के लिये पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को भी दरकिनार कर दिया। दोनों डायरेक्टरों पर ट्रायल जज को रिश्वत देकर प्रभावित करने का आरोप है। इसके साथ ही कंपनी द्वारा दूसरे रियलिटी फर्म के साथ मिलकर कोर्ट की कार्यवाही को मैनिपुलेट करने का भी आरोप है। याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोनों डायरेक्टरों को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया।
ये तो हो गयी दिल्ली की बात, अब आते हैं अपने राज्य झारखंड पर। जमीन घोटाला मामले में ईडी के समन को मुख्यमंत्री हेमंत सोरन ने फिर से ठुकरा दिया है। ईडी ने 26 सितंबर को पांचवी बार समन भेजकर हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिये ईडी कार्यालय में पेश होने के लिये 4 अक्टूबर की तारीख दी थी। मगर पिछले 4 बार की तरह मुख्यमंत्री इस बार भी पेश नहीं हुए। इस बार उन्होंने पलामू में होने वाले एक कार्यक्रम में शरीक होने का हवाला दिया है। पलामू के चियांकी में मेधा डेयरी के प्लांट का उद्घाटन किया जायेगा जिसके लिये सीएम करीब 1 बजे वहां जायेंगे और शाम तक वापस लौट आयेंगे।
इसके कयास पहले से ही लगाये जा रहे थे, क्योंकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाईकोर्ट में ईडी के समन के खिलाफ याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने बताया है कि उनके संपत्तियों की सारी जानकारी पब्लिक डोमेन में दर्ज है, फिर भी उन्हें समन भेजा गया है। उन्हें ये भी नहीं बताया जा रहा है कि किस अपराध के लिये उन्हें सबूत पेश करने की जरूरत है। ये याचिकादाता को संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। वहीं, सीएम हेमंत सोरेन ने अपनी याचिका में ईडी के गिरफ्तार करने के अधिकारों को भी चुनौती दी है। हालांकि अब तक यह याचिका हाईकोर्ट में सुनवाई के लिये सूचीबद्ध नहीं हुई है। इसके वजह से सुनवाई की तारीख तय नहीं हो सकी है। ऐसे में संभावना जतायी जा रही है कि सीएम अदालत से याचिका पर जल्द सुनवाई के लिये आग्रह कर सकते हैं।
आपको बता दें कि इस याचिका को मुख्यमंत्री ने ईडी के दूसरे समन के बाद सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था, मगर 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया। लेकिन हाइकोर्ट में याचिका दाखिल करने की आजादी दी. इसके बाद मुख्यमंत्री ने हाइकोर्ट में ईडी के समन को चुनौती देते हुए याचिका दायर की। वहीं, मुख्यमंत्री ने कोर्ट का फैसला आने तक ईडी से इंतजार करने का अनुरोध किया था।