L19 DESK : कहते हैं बच्चे कल का भविष्य हैं, मगर क्या हम भविष्य की कल्पना इन्हीं बच्चों के कुपोषित रहते हुए कर सकते हैं? हाल के दिनों में ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट सामने आयी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के बच्चे कुपोषित हैं। बेहतर पोषण न मिलने के कारण इनकी जल्द ही मौत हो जाती है। और इनकी संख्या हैरान करने वाली है। रिपोर्ट ये भी बताती है भारत में कई बच्चे 5 साल की उम्र तक आते-आते मौत का शिकार हो जाते हैं।
पोषण प्रदान करने के मामले में पाकिस्तान से भी पीछे है भारत
दरअसल, बीते दिनों ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट पेश की गयी। यह रिपोर्ट दुनियाभर में भूख को मापने का एक जरिया है जहां भारत की स्थिति बदतर है। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर के 125 देशों में भारत का स्थान 111वां है। यानि पोषण प्रदान करने के मामले में भारत काफी पीछे है। इस मामले में भारत ने लगातार गिरावट दर्ज की है। पिछले बार यानि साल 2022 में भारत का स्थान 107वां था, वहीं साल 2021 में यह 101 था। और इसी तरह से यह रैंक साल दर साल गिरती जा रही है। यही नहीं, हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका की अर्थव्यवस्था भारत के मुकाबले कमतर होने के बावजूद ये देश पोषण प्रदान करने के मामले में हमसे आगे है।
इन पैमानों को बनाया गया आधार
इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिये 4 पैमानों को आधार माना गया है। पहला कुपोषण। इसमें वैसे बच्चे और एडल्ट शामिल हैं जिन्हें खाना तो मिलता है, मगर फिर भी कुपोषित हैं। आंकड़े बताते हैं कि ऐसे 16% बच्चे हैं, जो इस श्रेणी में आते हैं। वहीं, दूसरा पैमाना है बच्चों में ठिगनापन। इसमें वैसे बच्चे शामिल हैं, जिनकी लंबाई उनकी आय़ु के मुकाबले कम है। और ऐसा इसलिये होता है क्योंकि इन्हें काफी लंबे समय से पौष्टिक और जरूरत के मुताबिक खाना नहीं मिल पाया है। ऐसे बच्चों की संख्या भारत में 35% है।
इसके बाद तीसरा पैमाना बाल मृत्यु दर है। इसमें वैसे बच्चे शामिल हैं, जो 5 साल की उम्र को पूरा करते करते मौत का शिकार हो जाते हैं। भारत के 3% बच्चे इस श्रेणी में आते हैं। और चौथा पैमाना बच्चों की लंबाई के हिसाब से उनके वजन को माना गया है। ये वैसे बच्चे हैं जिन्हें एक निश्चित कालखंड के दौरान बहुत कम खाना दिया गया, जिससे ये कमजोर और कुपोषित रह गये। हैरानी की बात तो ये है कि ऐसे बच्चों की संख्या भारत में 18% है, जो विश्वभर में सबसे ज्यादा है।
रिपोर्ट जारी होने पर क्या रहा भारत का रुख?
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारत सरकार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। भारत सरकार के मुताबिक, इस स्टडी के लिये जो पद्धति इस्तेमाल की गयी है, वह गलत है। इसके 4 में से 3 पैमाने केवल बच्चों से जुड़े हुए हैं। इससे पूरे देश की स्थिति पता नहीं की जा सकती। जबकि अगर देखा जाये तो, सभी देशों के लिये समान प्रक्रिया है। और किसी भी दूसरे देश ने इस रिपोर्ट पर सवाल खड़े नहीं किये हैं, भारत एक मात्र ऐसा देश है। इससे पहले भी जारी रिपोर्ट्स पर भारत सवाल खड़े करता रहा है।
भारत सरकार का ये भी कहना है कि केवल भूख के वजह से जान नहीं जा सकती। जबकि WHO, UNICEF जैसे कई बड़े वैश्विक संगठनो द्वारा जारी रिपोर्ट्स ने इस बात की पुष्टि पहले भी की है।
तो क्या ये रिपोर्ट ये दर्शाती है कि हमारे देश के उज्जवल भविष्य को उनकी मूलभूत जरूरत पूरी नहीं की जा रही है? हमारा देश अपने बच्चों का पेट भी नहीं पाल पा रहा है?