100वें एपिसोड कि बधाई आपने दी, पात्र आप सभी श्रोता
आज मन की बात का 100वां एपिसोड है। मुझे आप सबकी हजारों चिट्ठियां और संदेश मिले। कोशिश की है कि ज्यादा से ज्यादा चीजों को पढ़ पाऊं देख पाऊं। संदेशों को समझने की कोशिश करूं। कई बार पत्र पढ़ते वक्त भावुक हो गया, भावनाओं में बह गया और संभाला। 100वें एपिसोड पर सच्चे दिल से कहता हूं कि बधाई आपने दी, पात्र आप सभी श्रोता हैं।
विजयादशमी से शुरू हुआ सफर हम हर महीने मनाते हैं।
3 अक्टूबर 2014 को विजयादशमी के मौके पर हम सबने मिलकर विजयादशमी के दिन मन की बात की यात्रा शुरू की थी। विजयादशमी यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व। यह एक ऐसा पर्व बन गया है, जो हर महीने आता है। हम इसमें सकारात्मकता और लोगों की प्रतिभागिता को सेलिब्रेट करते हैं। यकीन नहीं होता कि इसे इतने साल गुजर गए। हर एपिसोड नया रहता है। देशवासियों की नई सफलताओं का विस्तार इसमें मिलता है। देश के कोने-कोने से हर आयु वर्ग के लोग जुड़े।
ओबामा के साथ मन की बात की तो इसकी चर्चा दुनिया में हुई।
मन की बात जिस विषय से जुड़ी वो जन आंदोलन बन गई। आप लोगों ने बना दिया। जब मैंने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मन की बात की तो इसकी चर्चा दुनिया में हुई। मन की बात मेरे लिए दूसरों के गुणों की पूजा का मौका है।
मेरे मार्गदर्शक थे लक्ष्मण राव, वो कहते थे कि हमें दूसरों के गुणों की पूजा करनी चाहिए। उनकी इस बात ने मुझे प्रेरणा देती है। यह कार्यक्रम दूसरों से सीखने की प्रेरणा बन गया है। इसने मुझे आपसे कभी दूर नहीं होने दिया।
50 साल पहले घर छोड़ा, इस कार्यक्रम से जनता से जुड़ा
जब मैं गुजरात का सीएम था, तब सामान्य तौर पर लोगों से मिलना-जुलना हो जाता था। 2014 में दिल्ली आने के बाद मैंने पाया कि यहां का जीवन और काम का स्वरूप अलग है। सुरक्षा का तामझाम, समय की सीमा सबकुछ अलग है। शुरुआती दिनों में खाली-खाली सा महसूस करता था।
50 साल पहले घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि अपने ही देशवासियों से संपर्क नहीं हो पाएगा। देशवासी सबकुछ हैं और उनसे कटकर नहीं रह सकता था। मन की बात ने मुझे मौका दिया। पदभार और प्रोटोकॉल व्यवस्था तक सीमित रहा। जनभाव मेरा अटूट अंग बन गया।
मन की बात ईश्वर रूपी जनता के चरणों में प्रसाद की थाल जैसे
हर महीने मैं देशवासियों के त्याग की पराकाष्ठा देखता हूं। मुझे लगता ही नहीं है कि आपसे थोड़ा भी दूर हूं। मन की बात कार्यक्रम नहीं, यह मेरे लिए आस्था,पूजा और व्रत है। जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं तो प्रसाद की थाल लाते हैं। मन की बात ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल जैसे है। यह मेरे लिए अध्यात्मिक यात्रा बन गया है। अहम से वयम की यात्रा है।
यह तो मैं नहीं, तू ही की संस्कार साधना है। कल्पना करिए कि कोई देशवासी 40-40 साल से निर्जन जमीन पर पेड़ लगा रहा है। कोई 30 साल से जल संरक्षण के लिए बावड़ी बना रहा है। कोई निर्धन बच्चों को पढ़ा रहा है। कोई गरीबों की इलाज में मदद कर रहा है। कितनी ही बार मन की बात में इनका जिक्र करते वक्त मैं भावुक हुआ। आकाशवाणी के साथियों को इसे दोबारा रिकॉर्ड करना पड़ा।
मन की बात में जिन लोगों का हम जिक्र करते हैं, वे सब हमारे हीरोज हैं, जिन्होंने इस कार्यक्रम को जीवंत बनाया है। आज जब हम 100वें एपिसोड के पड़ाव पर पहुंचे हैं तो मेरी इच्छा है कि एक बार फिर इन हीरोज के पास जाकर उनके बारे में जानें।
सेल्फी विद डॉटर का असर मुझ पर पड़ा
मेरे साथ जुड़ रहे हैं हरियाणा के भाई सुनील जगलान, इनका प्रभाव है मेरे मन पर। मैंने बेटी बचाओ अभियान हरियाणा से शुरू किया। इनके कैंपेन सेल्फी विद डॉटर का असर मुझ पर पड़ा। मैंने इसका जिक्र मन की बात में किया। ये अभियान पूरी दुनिया में फैल गया। जीवन में बेटी का स्थान कितना बड़ा होता है, इस कैंपेन से यह प्रकट हुआ। आज हरियाणा में जेंडर रेशियो में सुधार आया।
मोदी- आज सुनील जी से गप्प मार लेते हैं। सुनील जी सेल्फी विद डॉटर हर किसी को याद है। आपको कैसा लग रहा है।
सुनील- ये हमारे प्रदेश हरियाणा से पानीपत की चौथी लड़ाई शुरू की थी, यह मेरे लिए और बेटियों के पिता के लिए बहुत बड़ी बात है।
मोदी- आपकी बिटाया कैसी है?
सुनील- दोनों बेटियां आपकी बहुत प्रशंसक हैं। उन्होंने अपने क्लास मेट्स से थैंक्यू प्रधानमंत्री जी लेटर भी लिखवाए था।
जम्मू-कश्मीर की पेंसिल स्लेट का जिक्र
साथियों मुझे संतोष है कि मन की बात में हमने नारी शक्ति की प्रेरणादायी गाथाओं का जिक्र किया है। छत्तीसगढ़ के गांव की महिलाओं के स्वच्छता अभियान चलाने वाले स्वसहायता समूह की बात की। तमिलनाडु की आदिवासी समुदाय की टेराकोटा कप बनाने वाली महिलाओं की बात की। वहीं 20 हजार महिलाओं ने वेल्लोर में नाग नदी को पुनर्जीवित किया। मन की बात में जम्मू-कश्मीर की पेंसिल स्लेट का जिक्र करते हुए मंजूर अहमद का जिक्र किया था। वो साथ हैं।
मंजूर जी पेंसिल-स्लेट का काम कैसा चल रहा है?
मंजूर अहमद- ये काम बढ़ गया है, बहुत लोगों को रोजगार मिल गया। अभी 200 प्लस लोग काम कर रही हैं। आगे 200 लोगों को और रोजगार मिलेगा।
मोदी- मंजूरजी आपने कहा था कि इस काम की पहचान नहीं, आपकी पहचान नहीं। आपको पीड़ा थी। अब पहचान भी है और 200 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहे हैं।
मंजूर- किसानों को भी फायदा मिला। 2 हजार का ट्री बेचते थे और अब 5 हजार बढ़ गई है।
मोदी- आपने लोकल फॉर वोकल को जमीन पर उतार दिया।
मेक इन इंडिया प्रोडक्ट इस कार्यक्रम से दुनिया के सामने आई
साथियों हमारे देश में ऐसे कितने ही प्रतिभाशाली लोग हैं, जो मेहनत के बलबूते ही सफलता के शिखर तक पहुंचे हैं। विशाखापत्तनम के बैंकर मुरलीजी ने आत्मनिर्भर भारत का चार्ट शेयर किया था। बेतिया के प्रमोदजी ने एलईडी बल्ब का काम शुरू किया। मन की बात ही इनके उत्पादों को सामने लाने का माध्यम बना। हमने मेक इन इंडिया के अनेक उदाहरणों से स्पेस स्टार्टअप की चर्चा भी की।आपको याद होगा कि मणिपुर की विजयशांति के कमल के रेशों से कपड़े बनाने का जिक्र किया था। वो आज साथ हैं।
मोदी-आप कैसी हैं?
विजयशांति- मैं अच्छी हूं और 30 लोगों के साथ मैं ये काम कर रही हूं। 100 महिलाओं के साथ काम करने का टारगेट है। अब यह काम काफी पॉपुलर है। मन की बात में जिक्र के बाद यह हुआ। अब मार्केट है। अमेरिका में भी प्रोडक्ट जा रहा है।
मोदी- मैंने वोकल फॉर लोकल कहा था। आप लोकल से ग्लोबल हो रही हैं।
हीलिंग हिमालय शुरू करने वाले प्रदीप से पीएम ने बात की
मन की बात ने जन आंदोलन ने जन्म लिया और गति पकड़ी। टॉय इंडस्ट्री को फिर से स्थापित करने का मिशन यहीं शुरू हुआ था। स्वान और देसी डॉग्स की मुहिम शुरू की। गरीब छोटे दुकानदारों से मोलभाव ना करने की मुहिम भी शुरू की थी। हर घर तिरंगा मुहिम भी मन की बात ने संकल्प से जोड़ा। ऐसे उदाहरण समाज में बदलाव का कारण बने। प्रदीप सांगवान ने हीलिंग हिमालय शुरू किया। प्रदीप हमारे साथ हैं।
मोदी- कैसे हैं?
प्रदीप- मेरा कैंपेन 2020 से बहुत अच्छा है। जो काम 20 साल में करते थे, वो 5 साल में हो गया। मुहिम को कोई तवज्जो नहीं देता था, 2020 के बाद चीजें बदल गईं। अब 10 टन कचरा हम बटोरते हैं। 2020 में मैं हार मान चुका था, पर फिर सब बदल गया। पता नहीं आप कैसे हम जैसे लोगों को ढूंढ लेते हैं। मेरे लिए तब भी बहुत भावुक पल था और आज भी है।
मोदी- आप सच्चे अर्थों में हिमालय की चोटियों पर साधना कर रहे हैं। आज आपके नाम से लोगों को आपका अभियान याद आ जाता है। विश्वास है कि आपके प्रयासों से कितने ही पर्वतारोही स्वच्छता से जुड़े फोटो पोस्ट करने लगे हैं।
पीएम ने कहा- आज देश में टूरिज्म बढ़ रहा है। नदियां, पहाड़ या फिर तीर्थ स्थल, उन्हें साफ रखना जरूरी है। इससे टूरिज्म इंडस्ट्री को मदद मिलेगी। हमने इनक्रेडिबल इंडिया मूवमेंट की चर्चा की। लोगों को पहली बार ऐसी जगहों के बारे में पता चला, जो आसपास थी, पर जानते नहीं थे। विदेश जाने से पहले देश के कम से कम 15 टूरिस्ट डेस्टिनेशन में जाना चाहिए।
हमने स्वच्छ सियाचिन, सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगातार बात की।
पूरी दुनिया पर्यावरण को लेकर परेशान है। उसमें मन की बात का प्रयास अहम है। यूनेस्को डीजी ने हमसे बात की। यूनेस्को की तरफ से मैं मन की बात पर बधाई देती हूं। भारत और यूनेस्को का इतिहास बहुत पुराना है। एजुकेशन पर यूनेस्को काम कर रहा है। 2030 तक हम हर जगह अच्छी शिक्षा पहुंचाना चाहते हैं। हम संस्कृति को भी बचाना चाहते हैं। आप भारत का इसमें रोल बताइए?
आपसे बात करके खुशी हो रही है। आपने शिक्षा और संस्कृति संरक्षण पर सवाल पूछा है। ये दोनों विषय मन की बात के पसंदीदा विषय रहे हैं। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का विकल्प जैसे प्रयास हुए हैं। गुजरात में गुणोत्सव और शाला प्रवेश उत्सव शुरू किए थे।
मन की बात में हमने लोगों के प्रयासों को हाईलाइट किया। एक बार हमने ओडिशा में ठेले पर चाय बेचने वाले स्वर्गीय डी प्रकाश राव के बारे में बात की, जो गरीब बच्चों को पढ़ाते थे। झारखंड के संजय कच्छप, हेमलता जी के उदाहरण हमने दिए।
कल्चरल प्रिजर्वेशन के प्रयासों को भी जगह दी। लक्षद्वीप का क्लब, कर्नाटक का कला चेतना मंच… देश के कोने-कोने से मुझे उदाहरण भेजे गए। देशभक्ति पर गीत, लोरी और रंगोली के कम्पटीशन शुरू किए। स्टोरी टेलिंग पर भी मैंने बात की। इस साल हम जी-20 की अध्यक्षता कर रहे हैं। यह वजह है कि एजुकेशन के साथ डायवर्स ग्लोबल कल्चर को समृद्ध करने के लिए प्रयास और तेज हुआ है।
उपनिषदों में कहा गया है- चलते रहो, चलते रहो, चलते रहो। आज हम इसी चरैवेति भावना के साथ मन की बात का 100वां एपिसोड पूरा कर रहे हैं। भारत के सामाजिक ताने-बाने को मजबूती देने में मन की बात माला के धागे की तरह है। हर एपिसोड में देशवासियों की सेवा और सामर्थ्य ने प्रेरणा दी है। एक तरह से मन की बात का हर एपिसोड अगले एपिसोड की जमीन तैयार करता है। यह कार्यक्रम हमेशा सद्भावना,सेवा भावना से आगे बढ़ा है।
मन की बात से जो शुरुआत हुई, वह देश की नई परंपरा भी बन रही है। ऐसी परंपरा, जिसमें सबका प्रयास की भावना दिखती है। आकाशवाणी के साथियों को भी धन्यवाद, जो धैर्य के साथ इसे रिकॉर्ड करते हैं, ट्रांसलेटर जो विभिन्न भाषाओं में अनुवाद करते हैं, दूरदर्शन और माई गांव, इलेक्ट्रॉनिक चैनल्स का भी आभार व्यक्त करता हूं। उन्हें भी आभार देता हूंं जो मन की बात की कमान संभाले हुए हैं। भारत के लोग और भारत में आस्था रखने वाले लोग। यह आपकी प्रेरणा से संभव है।
आज समय और शब्द दोनों कम पड़ रहे हैं, मुझे भरोसा है कि आप मेरे भाव और भावनाओं को समझेंगे। आपके परिवार के सदस्य के रूप में आपके साथ रहा हूं, आपके बीच में रहा हूं और आपके बीच में रहूंगा। अगले महीने फिर मिलेंगे