L19 DESK : झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र में मॉब लींचिंग पर हेमंत सोरेन सरकार दुबारा विधेयक ला सकती है। राज्यपाल की ओर से इस विधेयक में कई कमियां बता कर 2022 में इसे वापस कर दिया गया था। यह कहा जा रहा है कि वर्तमान सरकार ने इन कमियों को दूर कर लिया है। कैबिनेट की मंजूरी भी दी जा चुकी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मॉब लींचिंग विधेयक लाने को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि आखिर मुख्यमंत्री जी इस विधेयक के लिए इतना व्याकुल क्यों हैं?
भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन “मॉब लीचिंग” पर फिर एक बार विधेयक लाने जा रहे हैं। पिछले विधेयक को राज्यपाल ने लौटा दिया था। अगर मन में तनिक भी ईमानदारी है तो “धर्मपरिवर्तन रोकने” के लिए भी विधेयक लाइए। “लव जिहाद” से पूरा झारखंड, विशेष कर संथाल परगना और संताल समुदाय तबाह हो रहा है। दम है तो इसपर विधेयक लाइए।
उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में लिखा है कि “धर्मपरिवर्तन रोकने” और “लव जिहाद” पर विधेयक लाने की बात आप नहीं करेंगे। इन पर विधेयक आप नहीं लाएंगे। आपका घुसपैठिया वोटर नाराज हो जाएगा। झारखंड की हजारों संताल/आदिवासी लड़कियों समेत अन्य की लव जिहाद, धर्मपरिवर्तन ने जिंदगी छीन ली। हम इस मुद्दे को छोड़ने वाले नहीं हैं। सरकार में आएंगे तो “चांडालों” को सबक सिखाएंगे।
राजभवन की ओर से मॉब लींचिंग के मसौदे पर कई ऐतराज खड़े किये गये थे। इसमें विधेयक के अंग्रेजी संस्करण में धारा दो के उपखंड (1) के उपखंड 12 में गवाह संरक्षण योजना का जिक्र किया गया है। लेकिन हिंदी संस्करण में इसका जिक्र ही नहीं है। दूसरी तरफ राज्यपाल ने इसी धारा के उपखंड (1) के उपखंड 6 में दी गई भीड़ की परिभाषा पर भी आपत्ति की थी। इसमें कहा गया था कि दो या दो से अधिक व्यक्तियों के समूह को अशांत भीड़ नहीं कहा जा सकता। राजभवन की ओर से दोषी को आजीवन कारावास और 25 लाख तक जुर्माने का था प्रावधान पर भी सवाल खड़े किये गये थे।
प्रस्ताव में मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक-2021 में दोषी पाए जाने पर तीन साल से सश्रम आजीवन कारावास और 25 लाख रुपए जुर्माने के साथ संपत्ति की कुर्की तक का प्रावधान था। मॉब लींचिंग के दौरान गंभीर चोट आने पर भी 10 साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान किया गया था। वहीं भीड़ को उकसाने वालों को दोषी मानते हुए उन्हें तीन साल की सजा देने की व्यवस्था थी। सरकार की तरफ से विधेयक में पीड़ित परिवार को मुआवजा देने और पीड़ित के मुफ्त इलाज की व्यवस्था का प्रावधान भी किया गया था