L19 DESK : छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट से जुड़ी कंपनी ए2जेड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को डुबोनेवाले लोग अब झारखंड में आरके ग्रुप ऑफ कंपनी की नईया पार लगायेंगे। जी हां, ए2जेड कंपनी को झारखंड उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग की तरफ से सात जिलों में शराब बेचने के लिए प्लेसमेंट एजेंसी की जवाबदेही सौंपी गयी है। इस कंपनी को सरायकेला-खरसांवां, चाईबासा, जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा, दुमका और साहेबगंज में शराब बेचने की जवाबदेही मिली है।
संताल परगना में कंपनी को झारखंड स्टेट बीभरेज कारपोरेशन लिमिटेड की तरफ से हैंडओवर दिया जा रहा है। इस कंपनी के प्रोजेक्ट हेड हैं गुड्डू यादव उर्फ कृपानिधि। नयी शराब नीति लागू होने के बाद इनका जुड़ाव ए2जेड इंफ्रास्ट्रक्चर से काफी अधिक रहा था। आपको बतायें कि जब से कंपनी ने सरायकेला-खरसांवा में शराब बेचने का जिम्मा लिया है, तब से न तो जिले में ओवर प्राइसिंग कम हो रही है और न ही नकली शराब और मिलावटी शराब पर किसी प्रकार का अंकुश लग रहा है। इसका मुख्य कारण है ए2जेड के को-ऑर्डिनेटर रहे राजीव चौबे, बादल यादव, कौशल चौधरी और सौरव गुलाटी।
इतना ही नहीं रांची के चर्चित नामों में से एक असीत तलेजा भी इन्ही के साथ है, जिसके खिलाफ सरायकेला जिले में नकली और मिलावटी शराब बेचने को लेकर प्राथमिकी दर्ज है और नन बेलेबल वारंट भी निकला हुआ है। ए2जेड के ये सभी शख्स रविवार 29 अक्तूबर 2023 को सरायकेला के कोलाबीरा ओपी के पास सरकारी लाइसेंसी दुकान में नकली शराब की खेप के साथ पकड़े गये थे। ये सभी एक फोर ब्हीलर जिसका नंबर जेएच05बीसी-0017 था पर आये थे। ग्रामीणों के घेराव और बाताबाती के क्रम में ये सभी फरार हो गये थे।
इस बाबत प्रोजेक्ट हेड गुड्डू यादव ने बताया कि शराब दुकान में पुराने सेल्समैन ही नकली शराब बेच रहे थे। ये सभी लोग वहां जांच करने गये थे। पर जिस तरह ए2जेड के बहुचर्चित स्टाफ और को-ऑर्डिनेटरों की ओर से सरायकेला और चाईबासा के 130 दुकानों को संचालित किया जा रहा है, वह अपने आप में अचंभित करनेवाला है। क्योंकि अब शराब की बिक्री के सेल का मौसम आ गया है, जो जनवरी 2024 तक अपने फूल रेंज में रहेगा। बकौल गुड्डू यादव हम नया काम करेंगे। दागी कर्मियों की सूची तैयार की जा रही है। उन्होंने यह बात नहीं बताया कि कैसे एक दागी को-आर्डिनेटर जिसने ए2जेड में रहते हुए झारखंड सरकार को दो करोड़ का हिसाब नहीं दिया, वे आरके ग्रुप का हिस्सा हैं।
इस पर उनका जवाब था, कुछ पुराने लोगों को रखा गया है, क्योंकि मिनिमम गारंटी योजना के तहत शराब की बिक्री भी बढ़ानी है। ओवर रेटिंग, डाइल्यूशन और अन्य तरह की हरकतें रोकनी है। उनके अनुसार चाईबासा में अभी काफी परेशानी है। सेल्स इंचार्ज से लेकर सेल्समैन तक गड़बड़ी कर रहे हैं। डेढ़ दर्जन लोगों को चिह्नित किया गया है। सरायकेला में भी आधा दर्जन से अधिक पर एक्शन की तैयारी चल रही है।
कुल मिला कर देखा जाये, तो बगैर ओवर रेटिंग, डाइल्यूशन के झारखंड में शराब की बिक्री असंभव सी है। छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट के तय मापदंडों से इतर दूसरी कंपनियां अभी अपने आप को स्थापित नहीं कर सकती हैं। एक आंकड़े के अनुसार झारखंड में आठ करोड़ से 10 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री प्रति दिन होती है। ऐसे में टार्गेट से इतर काम करना मुनासिब नहीं है।