L19 DESK : B.ED और DLED झारखंड और बाहर राज्य से करने वाले करीब 2 लाख से अधिक छात्र – छात्राओ को सहायक आचार्यों की नियुक्ति में अब शामिल होने का मौका नहीं मिलेगा। अब ये अभ्यर्थी ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पाएंगे। ये वैसे अभ्यर्थी हैं जिन्होंने 2016 के बाद बीएड व डीएलएड की डिग्री ली है। इन अभ्यर्थियों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित नहीं की गई, जिससे नई नियुक्ति प्रक्रिया में ये शामिल नहीं हो पाएंगे। ऐसे में बीएड डिग्री धारी छात्र-छात्राएं न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं।
बता दे की झारखंड में बीएड कॉलेजों की संख्या 135 है। हर साल 100 छात्र-छात्राओं का नामांकन होता है। ऐसे में इन कॉलेजों से करीब हर साल 13 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं पास होकर निकलते हैं। पिछले छह साल में झारखंड से ही 75 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने बीएड की डिग्री ली। इसके अलावा हर साल बड़ी संख्या में राज्य के बाहर भी अभ्यर्थी बीएड कोर्स की पढ़ाई के लिए जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक ऐसे छात्र-छात्राओं की भी संख्या 75 हजार से अधिक होगी। इसके अलावा डीएलएड का कोर्स भी राज्य के संस्थानों में होता है।
वहीं, केंद्र व झारखंड सरकार भी 2017-19 के बीच में कार्यरत सभी शिक्षकों को डीएलएड से प्रशिक्षित कर चुकी है। ऐसे अभ्यर्थी जो वर्तमान में कार्यरत हैं वे भी इसमें शामिल नहीं हो सकेंगे। नियुक्ति प्रक्रिया में सीटेट को मान्यता नहीं सहायक आचार्य की नियुक्ति प्रक्रिया में सीटेट वालों को मौका नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में इन अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार ने जब जेटेट का आयोजन नहीं किया तो अभ्यर्थियों ने सीटेट क्वालिफाइ किया। ऐसे में नियुक्ति प्रक्रिया में उन्हें मौका मिलना चाहिए। सीटेट की मान्यता जब पूरे देश में है तो झारखंड की नियुक्ति प्रक्रिया से उन अभ्यर्थियों को क्यों वंचित किया जा रहा है।
बता दे की राज्य में जेटेट परीक्षा का आयोजन सात साल से नहीं हुआ है। सरकार ने हर साल जेटेट लेने का निर्णय लिया था। वर्तमान सरकार भी लगातार इसकी तैयारी की बात करती आई है, लेकिन परीक्षा का आयोजन नहीं किया गया। राज्य में पहली बार 2012-13 में, जबकि दूसरी बार 2016 में इसका आयोजन किया गया। वर्तमान नियुक्ति में 2016 में जेटेट करने वाले अभ्यर्थियों को मौका मिल रहा है।