L19/DESK : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भाकपा माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रमोद मिश्रा और अनिल यादव को रिमांड पर लेकर पूछताछ करना शुरू कर दिया है। दो अक्टूबर को भी एनआईए ने प्रमोद मिश्रा से पूछताछ की थी। बिहार पुलिस रितेश विद्यार्थी के भाई रोहित विद्यार्थी को गिरफ्तार कर पूछताछ की थी, इस दौरान रोहित विद्यार्थी ने पुलिस को बताया कि प्रमोद मिश्रा गया जिले का लुटुआ गांव आने वाला है। सूचना के आधार पर बिहार पुलिस ने नौ अगस्त को पोलित ब्यूरो सदस्य और एनआरबी (उत्तरी क्षेत्रीय ब्यूरो) के प्रभारी प्रमोद मिश्रा और अनिल यादव को गिरफ्तार कर लिया था।
प्रमोद मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद बिहार पुलिस ने हथियार, गोला-बारूद और एक बंदूक फैक्ट्री का खुलासा किया था। जिससे बिहार और यूपी में हथियारों की सप्लाई करने और देसी हथियारों को इकट्ठा करने के लिए स्थापित किया गया था। एनआईए जांच से पता चला है कि प्रमोद मिश्रा को कई फ्रंटल संगठनों और छात्र विंगों को भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से कैडरों को प्रेरित करने, भर्ती करने और माओवादी की विचारधारा का प्रचार करने का काम सौंपा गया था। प्रमोद मिश्रा इस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आतंक और हिंसा की साजिश रच रहा था।
जांच से यह भी पता चला है कि प्रमोद मिश्रा भाकपा माओवादी संगठन को पुनर्जीवित करने के प्रयासों में माओवादी के कैडरों और समर्थकों, ओवर ग्राउंड वर्कर्स का नेतृत्व कर रहा था। प्रमोद मिश्रा मूल रूप से बिहार के औरंगाबाद जिले के रफीगंज थाना क्षेत्र के कासमा गांव का रहने वाला है। वह लंबे समय तक सारंडा में कार्यक्षेत्र रहा है। गिरफ्तारी से पहले वह झारखंड-बिहार सीमा पर छकरबंधा में माओवादियों को मजबूत करने में जुटा था। प्रमोद मिश्रा को नक्सली संगठन में वर्ष 2004 में केंद्रीय समिति सदस्य के रूप में शामिल किया गया था। 2007 में पोलित ब्यूरो सदस्य बनाया गया था। 11 मई 2008 को धनबाद जिले के विनोद नगर से गिरफ्तार हुआ था। उसे न्यायालय ने सबूत के अभाव में वर्ष 2017 में रिहा कर दिया था। इसके बाद से ही वह क्षेत्र में फिर सक्रिय हो गया था. उस पर पुलिस पर हमले व कई नरसंहार का मास्टरमाइंड माना जाता है।