L19/Ranchi : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक बार फिर केंद्र पर जम कर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि नीति आयोग जिस तरह से काम कर रही है, जिन नीतियों पर काम कर रही है, उससे आनेवाले दिनों में झारखंड में बरबादी (डिस्आस्टर ) ही होगा। हम नहीं बच पायेंगे। नीति आयोग सकी टीम झारखंड के दौरे पर आयी थी। हमने उनके समक्ष कई बातें रखीं. सीएम ने कहा कि राज्य सरकार ने टीम से सवाल किया था कि जिस तरीके से यहां प्राकृतिक संसाधन का दोहन किया जा रहा है, वह किस लेवल पर जाकर रुकेगा। आप पहाड़ को तोड़ कर कोयला निकाल रहे हैं यह बात समझ आ रही है, लेकिन धान पैदा करने वाले खेत से जिस तरीके से आप कोयला निकाल रहे हैं, क्या वहां धान फिर से पैदा होगा। ये नीतियां राज्य में डिजास्टर लाएंगी।
भारत सरकार के उपक्रम सीसीएल, बीसीसीएल, इसीएल सबसे अधिक काम करते हैं। हमने नीति आयोग के सदस्य से पूछा कि खनिज संपदा का एक्सप्लोरेशन कब तक होगा। अत्यधिक खनन होने के बाद का ब्लू प्रिंट है आपके पास। धान के खेत से जो कोयला निकाल लिये। पहले मैन्यूअल सारा काम होता था। मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 साल के बाद झारखंड में क्या बचेगा। यह बताने की स्थिति में मैं नहीं हूं। इसका आकलन होना चाहिए। हम डिस्आस्टर की स्थिति में आ जायेंगे। उत्तराखंड में रोज जान जा रही है। रोज बाढ़ आ रही है। हमारे यहां सुखाड़ की स्थिति है। यह सबसे बड़ी समस्या है। राजधानी रांची में पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो रही है।
हम पीने का पानी के लिए बने डैम का संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं। सबसे बड़े डैम रूक्का डैम में इतना कचरा भर गया है कि अब वहां कचरे का ढेर उत्पन्न हो गया है। डी सिल्टिंग हो गया है, इस गाज को साफ करने में काफी समय लगेगा। तालाब औऱ कई प्राकृतिक जलाशय सूख गये हैं। डेवलपमेंट का रास्ता तो हम तय कर रहे हैं, पर प्राब्लम भी क्रिएट कर रहे हैं। हर चीज का पोजिटिव और नेगेटिव एस्पेक्ट होता है। हमें दोनों पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। दिल्ली और कई शहरों में जाते हैं। जब प्लेन अथवा हेलीकाप्टर में होता हूं, तब यह देखता हूं कि शहरी करण कैसे तेजी से बढ़ रहा है। जंगल कट रहे हैं। कंक्रीट के जंगल बढ़ गये हैं।