L19 DESK : प्रवर्तन निदेशालय को अब बड़े बिल्डरों, अंचल अधिकारियों और प्रमोटरों को भी अपनी जद में लेना चाहिए। इनकी वजह से राजधानी रांची में कई बड़े जमीन घोटाले हुए हैं। इसमें एसोटेक, इलिका इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड चर्च कांपलेक्स रांची, प्रणामी ग्रुप, इस्टर्न इस्टेट डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, दुर्गा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड अशोक नगर, द होम्स प्राइवेट लिमिटेड हवाई नगर, नीशीथ केशरी कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड पुनदाग समेत दर्जनों नाम शामिल हैं। इन सबके द्वारा चलायी जा रही परियोजनाओं के लिए अधिगृहित की गयी जमीन में कई तरह का लोचा है। इन बिल्डरों और प्रमोटरों ने न सिर्फ बड़े आइएएस अधिकारियों को अपनी परियोजनाओं में उपकृत किया, बल्कि सरकारी अफसरों और नियमों का भी घोर उल्लंघन किया। इलिका इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड जो अपने आपको रांची का सबसे पुराना कंस्ट्रक्शन कंपनी बताती है, ने थापर समूह की कंपनी भारत वेस्टफालिया इंजीनियरिंग लिमिटेड के महिलोंग स्थित फैक्टरी को औने-पौने दाम में खरीद लिया।
इसमें नामकुम अंचल के तत्कालीन अंचल अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध रही है, क्योंकि इस जमीन की जमाबंदी एक बार में ही खोल दी गयी। अब इलिका इस्टेट भारत वेस्टफालिया के 75 एकड़ जमीन पर समृद्धि पार्क के नाम से अपार्टमेंट बनवा रही है। इलिका इस्टेट का दावा है कि उसने एक लाख से अधिक वर्ग फीट का अपार्टमेंट रांची के मोरहाबादी, कांके रोड और अन्य जगहों पर बनाया है। भारत वेस्टफालिया की जमीन लेने का काम कोलकाता के ब्रोकरों की तरफ से किया गया। इसमें इलिका इस्टेट के निदेशक आकाश आडुकिया, संतोष जैन शामिल थे। पहले इन लोगों ने भारत वेस्टफालिया इंजीनियरिंग लिमिटेड को बीमार कंपनी घोषित किया। फिर तत्कालीन अंचल अधिकारी रही शुभ्रा रानी और तत्कालीन उपायुक्त के साथ मिल कर करोड़ों की डील कर ली। कंपनी के 70 से अधिक कर्मचारियों को एक साथ निकाल दिया गया।
उधर इस्टर्न इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड राजधानी के कांके स्थित ओयना में 50 करोड़ का अपार्टमेंट बना रहे हैं। इसमें आइएएस छवि रंजन, वर्तमान मुख्य सचिव, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गये कई अधिकारी, पेयजल औऱ स्वच्छता सचिव मनीष रंजन, नगर निगम के आयुक्त शशि रंजन समेत कई अधिकारियों को अपार्टमेंट दिया गया है। इस कंपनी के प्रमोटरों ने आदिवासी जमीन भी अपने नाम करायी है। कंपनी के प्रोजेक्ट को राज्य सरकार के प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की तरफ से क्लीयरेंस नहीं दी गयी है। वहीं नीशीथ केशरी कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से ओक एलीगेंस, ओक रेसीडेंसी तथा अन्य प्रोजेक्ट बनाये जा रहे हैं। नीशीथ केशरी के ठिकानों पर पिछले वर्ष जुलाई में इडी ने छापेमारी की थी। नीशीथ केशरी के बहनोई हैं आइएएस अधिकारी राजीव अरुण एक्का, जिनसे इडी ने दो बार पूछताछ की है। इतना ही नहीं नीशीथ केशरी शराब के धंधे से भी जुड़े हैं।अशोक नगर के दुर्गा डेवलपर्स के अनिल झा के यहां भी इडी की रेड पड़ चुकी है।
इनके कई प्रोजेक्ट्स अभी विवादों के घेरे में हैं। इनके बड़ा घाघरा, अशोक नगर में चल रहे प्रोजेक्ट में जमीन विवाद सामने आया है। इसको लेकर अखबारों तक में इश्तहार निकाला गया है। अनिल झा की परियोजना को भी पर्यावरण का क्लीयरेंस नहीं मिला है। झारखंड में नगर विकास विभाग की तरफ से शुरू किये गये किफायती घरों की परियोजना में नोएडा के ब्लैकलिस्टेड कंपनी एसोटेक को जिम्मेवारी दी गयी है। इसके मोरहाबादी के बोड़ेया रोड में बन रहे अपार्टमेंट में भी विवाद शुरू हो गया है. उस समय राज्य में भाजपा नीत रघुवर दास की सरकार थी। इसी तरह राज्य के एक बड़े बिल्डर प्रणामी ग्रुप के यहां भी पहले आयकर का छापा पड़ चुका है। प्रणामी समूह और इलिका स्टेट्स के यहां पड़े छापे में हवाला के जरिये पैसे को इधर-उधर करने के प्रमाण मिले थे। इडी को इन सभी मामलों पर ध्यान देना चाहिए। तभी राज्य के बड़े अंचल अधिकारियों, भ्रष्ट अफसरों, जमीन दलालों के नेक्सस का पता चल पायेगा।