L19 DESK : राज्य में नगर निकाय चुनाव लोकसभा और विधानसभा चुनाव तक टल सकता है। बता दे कि कैबिनेट ने निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण की सीमा निर्धारित करने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग गठन करने की मंजूरी 26 जून को ही दी गई थी। लेकिन दो महीने से भी अधिक समय बीत जाने के बाद अब तक आयोग का गठन नहीं हो पाया है। ऐसे में 2023 में निकाय चुनाव होना संभव नहीं लग रहा है।
वही दूसरी ओर, अगले साल लोकसभा और विधानसभा के चुनाव भी होने वाले हैं। ऐसे में निकाय चुनाव टाला जा सकता है। बता दें कि ओबीसी आयोग के अध्यक्ष का पद न्यायिक पदाधिकारियों के लिए सुरक्षित है और सरकार को इस पद के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहा है। इसलिए सरकार अब आयोग के गठन के नियम में बदलाव पर भी विचार कर रही है। न्यायिक पदाधिकारी की जगह सामाजिक-राजनीतिक सरोकार से जुड़े व्यक्ति को भी आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है।
अगर अगले एक-दो महीने में आयोग का गठन हो भी जाता है, तब भी आयोग को ओबीसी का सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक सर्वेक्षण करने में तीन से चार महीने का समय लग सकता है। फिर सरकार आयोग की अनुशंसा के आधार पर ओबीसी आरक्षण की सीमा निर्धारित करते हुए चुनाव कराने पर विचार मंथन कर सकती है।
बता दे की राज्य में 48 नगर निकायों में चुनाव होने वाला है। नगर निकायों का कार्यकत अप्रैल माह में समाप्त हो चुका है। इससे पहले 14 निकायों में मई 2020 से ही चुनाव लंबित है। झारखंड के सभी नगर निकाय फिलहाल जनप्रतिनिधि विहीन हो चुके हैं। आदिकारियों के जरिए ही सारे काम हो रहे हैं।
वही नगर निकाय चुनाव पर भाजपा का मानना है कि यह सरकार लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव नहीं कराना चाहती है। झामुमो का कहना है कि यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह लोकसभा-विधानसभा चुनाव के पहले या बाद में चुनाव कराना चाहती है। दूसरी ओर कांग्रेस का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद ही निकाय चुनाव संभव है।