L19 Desk : अनिल महतो उर्फ अनिल टाईगर, यह नाम कल से चर्चा में है, चर्चा का कारण है रांची के सबसे चर्चित और भीड़भाड़ वाले कांके चौक पर दिनदहाड़े उनकी दर्दनाक हत्या। रांची के कांके प्रखंड के गागी खटंगा गांव, जहां महज़ दो, ढाई साल पहले ही सड़क पहुंची है, उस गांव से इंद्रजीत महतो उर्फ अनिल महतो निकलकर केवल रांची ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड में अनिल टाईगर के नाम से परिचित हो जाते हैं।
लंबी-चौड़ी कद काठी, चेहरे पर मोटी मूंछ, मर्दाना मुस्कान, काली स्कॉर्पियो- इसी के इर्द-गिर्द अनिल टाईगर पहचाने जाते थे। उनकी गिनती झारखंड में बीजेपी के बड़े नेता के तौर पर होती थी। इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी मौत की खबर सुनते ही रक्षा राज्य मंत्री सह रांची सांसद संजय सेठ दिल्ली से सीधे रांची पहुंच जाते हैं, झारखंड के दो-दो पूर्व मुख्यमंत्री, मसलन बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, बीजेपी विधायक सीपी सिंह, नवीन जायसवाल के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के तमाम शीर्ष नेता, आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो, जेएलकेएम विधायक जयराम महतो, कांके से कांग्रेस विधायक सुरेश बैठा रिम्स अस्पताल पहुंच गए, उन्हें अंतिम विदाई देने के लिये। लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कौन थे अनिल टाईगर, और उन्हें गोलियों से क्यों भून दिया गया ?
26 मार्च की तपती दोपहरी को क्या क्या हुआ ?
26 मार्च, 2025, घड़ी में करीब सवा तीन बज रहे थे, 50 वर्षीय अनिल टाईगर राजधानी रांची के कांके चौक स्थित शिव मंदिर परिसर के अंदर बने एक झोंपड़ीनुमा होटल में अपने साथियों के साथ बात करते हुए मोबाइल पर गेम खेल रहे थे। इसी बीच एक अपाची मोटरसाइकल पर दो युवक सवार होकर कांके चौक पर रुके। एक युवक पीठ में बैग लेकर होटल की ओर बढ़ा, और वहां पहुंचकर उसने चावल ऑर्डर किया। जब तक होटल का स्टाफ ऑर्डर लेकर आता, तब तक गोलियों की तड़तड़ाहट से इलाका गूंज उठा था। मालूम हुआ कि युवक ने कुछ ही दूरी पर बैठे अनिल टाईगर के सिर पर गोली चला दी।
गोली लगते ही अनिल टाईगर गिर पड़े, और मौके पर ही उनकी मौत हो गयी। आसपास में दहशत का माहौल बन गया। लोग शोर मचाने लगे, तब तक आपराधिक घटना को अंजाम दे चुका शूटर दूसरे युवक के साथ मोटरसाइकिल पर सवाल होकर पिठोरिया की ओर भागने लगा, उसका पीछा करने स्कॉर्पियो से कुछ युवक निकल पड़े। पीछा करते-करते वे लोग लॉ यूनिवर्सिटी, आईटीबीपी क्रॉस कर गये, आखिरकार स्कॉर्पियो सवार युवक मनातू के पास मोटरसाइकिल के करीब पहुंचे, और रोकने के प्रयास से मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। दोनों अपराधी भागने लगे, इस बीच पुलिस ने एनकाउंटर की मदद से शूटर को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन दूसरा युवक भागने में कामयाब रहा।
क्यों हुई अनिल टाईगर की हत्या ?
गिरफ्तार हुए शूटर का नाम रोहित वर्मा है, वह रांची के पुंदाग का रहने वाला है, जबकि फरार अपराधी की पहचान अमन सिंह के रूप में हुई है। शूटर रोहित वर्मा ने पुलिस को बताया कि आखिर उसने अनिल टाईगर की हत्या क्यों की। रोहित वर्मा का कहना है कि उसने सुभाष जायसवाल की हत्या का बदला लिया है। वह सुभाष जायसवाल गिरोह के लिये काम करता था।
दरअसल, 14 जनवरी 2025 को लोहरदगा जिले के कुड़ू बस स्टैंड में एक अपराधी सुभाष जायसवाल की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। वह पंडरा में 13 लाख रुपये के लूटकांड का आरोपी था। रोहित को संदेह था कि सुभाष जायसवाल की हत्या में अनिल टाईगर का हाथ है। इसलिये उसने इस घटना को अंजाम दिया।
विधानसभा में भाजपा में किया ज़ोरदार हंगामा
इधर, दिनदहाड़े हुई इस हत्याकांड के बाद आज विधानसभा में सत्र के आखिरी दिन विपक्षी दल भाजपा और आजसू के विधायक तख्तियां लेकर सरकार पर हमला और राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करने पहुंचे। सदन के अंदर भी मामले में जमकर हंगामा हुआ।
कौन हैं अनिल टाईगर ?
अनिल टाईगर की पहचान एक झारखंड आंदोलनकारी के तौर पर थी। वह अपने इलाके कांके में खासा प्रसिद्ध थे। उन्हें राज्य के एक बड़े कुरमी नेता और एक बड़े भाजपाई नेता के तौर पर भी गिना जाता था। अनिल टाईगर ने अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में कदम रख दिया था। वह रांची विवि के पीजी हॉस्टल में रहने के दौरान ही झारखंड आंदोलन में सक्रिय हो गये थे। 1995 में छात्रों ने उन्हें टाईगर नाम से नवाज़ा, उस समय से लेकर आज तक यह उपनाम उनके साथ रहा। अनिल टाइगर लंबे समय से राजनीति में सक्रिय थे।
भाजपा में आने से पहले वे आजसू में थे और कई महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके थे। उन दिनों उन्हें आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो का करीबी माना जाता था. अनिल टाईगर साल 1998 में कुर्मी छात्र संघ के अध्यक्ष बने। 2001 में वह रांची विवि के आजसू का संयोजक बने। 2010 में आजसू पार्टी के जिला सचिव बने, उसी दौरान वह कांके विधानसभा के प्रभारी भी थे। इसके पांच सालों के बाद साल 2015 में वह कांके के जिला परिषद सदस्य बने। 2016 में आजसू के रांची जिलाध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने साल 2018 में आजसू छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया. अनिल टाइगर पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य और ग्रामीण जिला महामंत्री पद पर थे।
इसके साथ ही वह कांके सरना समिति के संरक्षक भी थे। वहीं, दो दिन पहले ही उन्हें पांचवीं बार कांके महावीर मंडल का अध्यक्ष चुना गया था। अनिल टाईगर हर साल रामनवमी में भव्य झांकी निकालते थे। इस बार भी वह रामनवमी की तैयारियों में जुटे थे, लेकिन रामनवमी से पहले ही उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गयी। अनिल टाईगर जैसे बड़े नेता की दिनदहाड़े हत्या ने एक बार फिर राजधानी रांची समेत राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। खैर, अब देखना होगा कि इस हत्याकांड के बाद भी सरकार और प्रशासन की नींद खुलती है या नहीं, राज्य की सुरक्षा व्यवस्था कब तक दुरुस्त होती है।