L19/DESK ; बालू, कोयला, मईया सम्मान योजना जैसे मुद्दे इन दिनों विधानसभा सत्र में खूब गूंज रहे हैं, लेकिन पेसा कानून 1996 को लेकर अभी तक ना विपक्ष की ओर से कोई बोल रहा है ना ही सरकार की ओर से।जी हां आदिवासियों की जीवन रक्षक कानून पेसा यानी पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार अधिनियम) 1996 पर पूरा सदन मौन है। वैसे पेसा कानून पर राज्य भर में पिछले दो-तीन महीने से विवाद बढ़ता जा रहा है कोई JPRA 01 को लागू करने के पक्ष में है तो कोई पेसा..तो कोई पी पेसा।
हालांकि पेसा और पी पेसा एक ही है बस इसे समझने की जरूरत है। रही बात झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2001 जिसे शॉर्ट में JPRA 01 कहा जाता है कि है तो इस कानून के तहत झारखंड में 2010 से पंचायती राज का चुनाव संपन्न हो रहा है और यह कानून सभी 24 जिले में लागू है वहीं दूसरी और पेसा कानून राज्य के अनुसूचित क्षेत्र के लिए बनाया गया है जहां आदिवासियों की अपनी स्वशासन व्यवस्था संचालित होती है।
हालांकि बीते दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का राज्यपाल संतोष गंगवार के साथ मुलाकात के दौरान राज्यपाल द्वारा इस कानून को जल्द से जल्द लागू करने का निर्देश मिलना वर्षों संघर्ष कर रहे आदिवासियों के लिए सुखद समाचार है। ऐसे में एक बार फिर से पेसा कानून की सुग़ बुगाहट राज्य में शुरू हो गई है।मुलाक़ात के दौरान राज्यपाल ने स्पष्ट शब्दों में मुख्यमंत्री को निर्देश देते हुए कहा है कि पेसा कानून लागू नहीं होने से आदिवासी समुदाय अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं। अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों को स्वशासन के जरिए सशक्त बनाने के लिए पेसा कानून को लागू करना जरूरी है।इस कानून के लागू नहीं होने से ग्राम सभाओं को जमीन, संसाधन और स्थानीय विकास पर निर्णय लेने का अधिकार भी नहीं मिल पा रहा है। इस संबंध में राज्यपाल ने विभिन्न संगठनों द्वारा पेसा कानून को लागू करने को लेकर उन्हें दिए गए ज्ञापन का जिक्र किया गया साथ ही सीएम को इस कानून को जल्द से जल्द लागू करने का निर्देश दिया गया। इधर मुख्यमंत्री अपने जवाब में राज्यपाल को बताया कि सरकार द्वारा बीते साल पेसा नियमावली का ड्राफ्ट जारी करते हुए उन पर आपत्तियां और सुझाव मांगे गए थे, उनकी समीक्षा कर ड्राफ्ट में संशोधन किया जा रहा है। जैसे ही समीक्षा संपन्न होती है जल्द से जल्द पेसा कानून को लागू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री और राज्यपाल के इस मुलाकात ने महीनों से पेसा कानून को लेकर चली आ रही ग़तिरोध पर विराम लगता नजर आ रहा है। हालांकि अभी कुछ कहा नहीं जा सकता कि सरकार इसे जल्द ही लागू करेगी क्योंकि जब तक JPRA 01 और पेसा को अलग-अलग परिभाषित नहीं किया जाएगा तब तक इसे लागू करना संभव नहीं है.