L19 DESK : झारखंड में स्कूली बच्चों के लिए साइकिल खरीद का टेंडर तीसरी बार भी रद्द हो गया। इसकी वजह से एक बार फिर 10 लाख बच्चों को साइकिल नहीं मिल पायेगी। कल्याण सचिव के. श्रीनिवासन ने आदिवासी कल्याण आयुक्त लोकेश मिश्र को ई-मेल किया है, जिसमें कहा गया था कि साइकिल खरीद की टेंडर में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग साइकिल नहीं खरीदी जायेगी। इसी ई-मेल के आधार पर टेंडर रद्द कर दिया गया।
वर्ष 2020-21, 2021-22 और 2022-23 के छात्रों और छात्राओं को साइकिल नहीं मिली है। इसके लिए 360 करोड की राशि पीएल खाते में जमा है, इसमें और 120 करोड़ जुड़ जायेंगे। जनजातीय कल्याण आयुक्त कार्यालय की तरफ से साइकिल की निविदा को अंतिम रूप नहीं दिये जाने के मामले को लेकर अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा कल्याण विभाग के मंत्री चंपाई सोरेन ने आदिवासी कल्याण आयुक्त से स्पष्टीकरण की मांग भी की है।
यहीं पर पदस्थापित उप निदेशक सुनील कुमार सिंह की तरफ से साइकिल कंपनियां कोहिनूर, एसके बाइक और नीलम साइकिल के साथ बातचीत करने के तमाम कोशिशें फेल हो गयीं। उप निदेशक चार वर्ष के लिए साइकिल खरीद मामले में काफी दिलचस्पी ले रहे थे। कल्याण विभाग ने संकल्प जारी कर आठवीं, नौंवीं और दसवीं कक्षा में पहुंच चुके बच्चों को पीएल खाते (पब्लिक लेजर अकाउंट) में जमा राशि से साइकिल खरीदने की बातें कही थीं।
साइकिल खरीद के लिए हर वित्तीय वर्ष में 120 करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान है। तीन साल को मिलाकर यह राशि 360 करोड़ रुपए हो गई है, जो पीएल खाते में जमा है। इसी बीच कल्याण विभाग ने संकल्प जारी कर कहा था कि आठवीं, नौवीं और 10वीं कक्षा में पहुंच चुके बच्चों को पीएल खाते में जमा राशि से साइकिल खरीद कर दी जाएगी। यही नहीं, अब तक कल्याण विभाग सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले एससी-एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक बच्चों को ही साइकिल देता था।
इस बार तय हुआ है कि सामान्य वर्ग के गरीब बच्चों को भी साइकिल दी जाएगी। सरकार की तरफ से रघुवर दास की सरकार के समय तय की गयी साइकिल खरीद की राशि को 35 सौ से बढ़ा कर 45 सौ रुपये कर दिया गया है। फिर भी सरकार को योग्य कंपनियां नहीं मिल रही हैं। सरकार ने साइकिल खरीद की राशि लाभुकों के खाते में सीधे भेजने की बजाय साइकिल खरीद कर लाभुकों को देने का भी निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिया है।