l19/Ranchi : रिम्स के इमरजेंसी यूनिट में अब दवाएं बाहर से नहीं आयेंगी। जूनियर डॉक्टर किसी भी मरीज को बाहर से दवा लाने के लिये नहीं कह सकते। अगर ऐसा होता है, तो जूनियर डॉक्टरों पर रिम्स प्रबंधन कार्रवाई करेगा। इमरजेंसी यूनिट में जरूरत पड़ने वाली सभी दवाएं उपलब्ध करायी जायेंगी। फिजियोलॉजी विभाग के दो चिकित्सक डॉ राजेश और डॉ शिशिर दवाओं के स्टॉक की निगरानी करेंगे। दवाओं की कमी होने पर तीन दिन पहले ही दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी। उसके बावजूद दवाएं उपलब्ध न होने पर पीओडी, एसओडी और सीएमओ से सत्यापित कराने के बाद ही पर्ची बाहर भेजी जायेगी।
फिलहाल, इमरजेंसी में आने वाले ज्यादातर मरीजों को कई जरूरी दवा बाहर से लाने को कह दिया जाता है। कई बार सिरिंज, कॉटन और गॉज तक बाहर से मरीज खुद खरीदकर लाते हैं। नहीं लाने तक उनका इलाज प्रभावित रहता है। इसे लेकर रिम्स के निदेशक राजीव गुप्ता ने कहा कि रिम्स में ज्यादातर दवाइयां उपलब्ध रहती हैं। जूनियर डॉक्टर अपनी मर्जी से ही मरीजों को बाहर से दवा लाने को कह देते हैं। तीन दिनों के अंदर सारी व्यवस्था दुरुस्त कर दी जायेगी। इसे लेकर रिम्स प्रबंधन ने कुछ जरूरी कदम उठाये हैं।
इमरजेंसी यूनिट में दवा उपलब्ध नहीं होने पर पहले नर्सें पर्ची पर लिखेंगी कि दवा स्टॉक में उपलब्ध नहीं है। उसके बाद दवा है या नहीं, इसकी जांच पीओडी फिजिशियन ऑन ड्यूटी वेरिफाई करेंगे। उसके बाद एसओडी सर्जरी ऑन ड्यूटी उसे जांचेंगे। फिर सीएमओ उसकी जांच कर वेरिफाई करेंगे। तीनों डॉक्टरों के उस पर हस्ताक्षर होंगे। उसके बाद ही मरीज को दवा बाहर से लाने कहा जाएगा।
इसे लेकर रिम्स के निदेशक डॉ राजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि इमरजेंसी में अधिकतर मरीज चार विभाग के आते हैं-मेडिसिन, न्यूरो सर्जरी, सर्जरी और ऑर्थो के। इन विभागों में इमरजेंसी में जरूरत पड़ने वाली सभी दवाओं की लिस्ट मांगी गई है। लगभग दवाइयां रिम्स में उपलब्ध हैं। जो दवाएं उपलब्ध नहीं होंगी, उन्हें जरूरत पड़ने पर लोकल खरीदारी कर उपलब्ध करायी जाएगी।
वहीं, रिम्स में अब डायलिसिस यूनिट का संचालन भी शुरु होने वाला है। 31 अक्टूबर को इस यूनिट का विधिवत उद्घाटन किया जायेगा। उस दिन से ओपीडी के मरीजों को भी डायलिसिस की सुविधायें मिलनी शुरु हो जायेंगी। इससे पहले केवल भर्ती मरीजों की ही डायलिसिस की जा रही थी।