- संजीवनी बिल्डकोन मामले में तीन से अधिक एफआइआर सीबीआइ ने किया है दर्ज
- वर्तमान डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने रातू अंचल के एक मामले में दी अभियोजन चलाने की स्वीकृति
- डोरंडा थाने में पति-पत्नी के नाम से चार प्राथमिकी के मामले हैं दबे हुए
- आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला एसीबी डीएसपी आरएन सिंह ने रखा है दबा
L19/Hazaribagh : कटकमदाग के अंचल अधिकारी शशि भूषण सिंह के खिलाफ एक नहीं कई-कई प्राथमिकी दर्ज हैं। यह हल्का कर्मचारी से सीओ बने हैं, वह भी विभागीय प्रोन्नति कमेटी की परीक्षा में फरजीवाड़ा कर-कर के। अंचल निरीक्षक से सीओ की परीक्षा में ये टॉप कर गये। पर सेकेंड, थर्ड और फोर्थ टॉपर आज भी अंचल निरीक्षक ही हैं। मामला कई अदालतों में विचाराधीन हैं। इनके बारे में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में कहा जाता है कि ये सबसे भ्रष्ट अधिकारी हैं, जिनकी काफी पूछ विभाग में है। विभाग के डिस्पैच कलर्क से लेकर संयुक्त सचिव इस अधिकारी के झांसे में तुरंत आ जाते हैं। राज्य के बोलबा (सिमडेगा) के रहनेवाले शशिभूषण सिंह ने दक्षिणी छोटानागपुर अंचल के सभी अंचलों में लोहरदगा छोड़ कर अपना करिश्मा दिखाया है। राजधानी के रातू, नगड़ी, ओरमांझी, नामकुम अंचल में संजीवनी बिल्डकोन घोटाले के मुख्य सूत्रधार भी हैं।
सीबीआइ ने संजीवनी बिल्डकोन घोटाले में दर्ज कर रहा है एफआइआर
सीबीआइ ने रांची में हुए संजीवनी बिल्डकोन घोटाले में शशिभूषण सिंह पर तीन से अधिक प्राथमिकी दर्ज कर रखी है। 2013-14 में सीबीआइ और एसीबी की संयुक्त प्राथमिकी सीबीआइ की विशेष अदालत में दर्ज की गयी। इसमें संजीवनी बिल्डकोन के प्रमोटरों के अलावा रातू अंचल के तत्कालीन सीओ केके राजहंस, हल्का कर्मचारी शशि भूषण सिंह, के खिलाफ कांड संख्या 17 ऑफ 2013 और कांड संख्या 18 ऑफ 2013 दर्ज किया है। सीबीआइ की ओर से मामले को जगरनाथपुर थाने से टेकओवर किया गया था। इसमें सेल एग्जीक्यूटिव को-आपरेटिव यूनियन की जमीन की गलत जमाबंदी करने का आरोप प्रमाणित हो चुका है। सीबीआइ की तरफ से मामले में आरोप पत्र भी दाखिल किया जा चुका है। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम चौधरी न इस मामले में तत्कालीन सीओ मनोज दिक्षीत, कृष्ण कन्हैया राजहंस, शशि भूषण सिंह और अन्य के खिलाफ सजा के बिंदू तय करने का आदेश दिया है।
रांची के उपायुक्त राहुल सिन्हा ने रातू अंचल में हुई गड़बड़ी को लेकर 10 दिसंबर 2022 को दो हल्का कर्मचारी बसंत कुमार भगत और शशि भूषण सिंह (अब सीओ) पर धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी के तहत अभियोजन चलाने की स्वीकृति दी है। उन्होंने कहा है कि ये लोक सेवक हैं। नियोक्ता पदाधिकारी के रूप में इनके कार्यकलापों की जांच की गयी, जिसमें इनके द्वारा पंजी-2 में छेड़छाड़ किये जाने की बातें प्रमाणित हुई हैं। इनके द्वारा कर्तव्यों के निर्वह्न में कोताबी बरती गयी। जगरनाथपुर थाना कांड संख्या 20 ऑफ 2006, दिनांक 10 फरवरी 2006 के तहत तत्कालीन हल्का कर्मचारियों ने गड़बड़ी की है, जिस पर प्रथम दृष्टया आरोप प्रमाणित हुए हैं। इसकी जांच रिपोर्ट एएसपी हटिया, सिटी एसपी रांची की ओर से भी दी गयी है।
एसीबी के डीएसपी आरएन सिंह ने आय से अधिक संपत्ति मामले की संचिका दबा कर रखी है। बताया जाता है कि डीएसपी आरएन सिंह पहले शशि भूषण सिंह को फूटी आंखों देखना नहीं चाहते थे। अब उन्होंने ही कांड संख्या 63 ऑफ 2016 को दबा दिया है। इस संबंध में मुख्यमंत्री सचिवालय से लेकर मुख्य सचिव तक को कई बार आवेदन देकर मामले की जांच करने का आग्रह भी किया गया है। पर मामला ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है। डोरंडा थाने में खुद शशि भूषण सिंह, उनकी पत्नी गीता देवी, एलआइसी के डेवलपमेंट आफिसर संजय कुमार सिंह के खिलाफ गलत समझौता करने और जमीन हड़पने को लेकर चार प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा दबी हुई है। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रांची की अदालत ने डोरंडा थाने में आरियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था, जिस पर तत्कालीन थाना प्रभारी रमेश सिंह ने कार्रवाई नहीं की। उनके गलत कृत्यों के चलते उनका तबादला कहीं अन्यत्र कर दिया गया है।