L19 DESK : बिहार की राजनीति एक बार फिर से करवट से सकती है। कुछ ही दिनों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नीतिश कुमार इंडिया गठबंधन का साथ छोड़कर एक बार फिर से भाजपा का दामन थाम सकते हैं। नीतिश कुमार जल्द ही पार्टी के विधायकों के साथ बैठ कर राज्यपाल से मुलाकात कर सकते हैं।
खबरों की मानें तो भाजपा के साथ सरकार बना कर नीतिश कुमार सीएम के पद पर बने रहेंगे। साथ ही दो डिप्टी सीएम भी होंगे। गौरतलब है, फिलहाल डिप्टी सीएम की कमान तेजस्वी यादव के हाथों में हैं। दोनों ही उपमुख्यमंत्री भाजपा के होंगे। यह डील 2020 में हुए चुनाव के बाद वाले समझौते की याद दिलाती है।
विधानसभा भंग हुए बगैर ही होगा सरकार गठन
नीतीश कुमार के 7वीं बार सीएम पद की शपथ लेने पर इस बार विधानसभा भंग नहीं की जाएगी। चुनाव भी नहीं कराया जाएगा। बिहार में वैसे भी अगले साल असेंबली इलेक्शन होना है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि किसी भी तरह की जल्दबाजी ठीक नहीं होगी। फिलहाल पूरा फोकस लोकसभा चुनाव पर रखने का प्लान है। हालांकि, एनडीए गुट के नेताओं की ओर से इस तरह के भी सुझाव आए हैं कि लोकसभा के साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव कराए जाएं। मगर, इसे लेकर गठबंधन दलों के बीच सहमति नहीं बन पाई है।
भाजपा को साधने की होगी कोशिश
भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी एक बड़ा राजनीतिक खेल माना जा रहा है। यह प्रक्रिया विधानसभा अध्यक्ष के नामांकन के साथ शुरू होगी और कैबिनेट में फेरबदल तक चलेगी। भाजपा नेताओं को साधने के लिए हर 4 विधायकों में से एक के लिए मंत्री पद तय हुआ है। ध्यान देने वाली बात यह है कि नीतीश की घर वापसी की शर्तों में जदयू को मिलने वाली लोकसभा सीटों में कटौती भी शामिल है। 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा और 16 पर जीत दर्ज की। मगर, इस बार उसे एनडीए की ओर से 12-15 सीटें ही मिलने के संकेत हैं। राज्य में एनडीए सहयोगियों को संतुष्ट रखने के लिए सीट-शेयरिंग का यह फॉर्मूला तय हुआ है।
इधर, बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दो से तीन दिनों में बीजेपी में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि यह कोई नयी बात नहीं है। जब से राजद नेता जदयू को तोड़कर सरकार बनाने की कोशिश कर रहे थे, तब से उन्होंने भाजपा में शामिल होने का मन बना लिया था।
पहले भी लग चुका है पलटू कुमार का टैग
बता दें कि जदयू सुप्रीमो नीतिश कुमार साल 2022 में भाजपा से अलग हो गए थे और लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से हाथ मिला लिया। इससे पहले 2017 में भी नीतीश ने लालू से नाता तोड़ा था। यही वजह है कि विपक्षी दल नीतीश कुमार को पलटू कुमार भी कहते हैं। इस तरह एक बार फिर जदयू अध्यक्ष कुछ ऐसा ही करने वाले हैं।