L19/DESK : गुरुवार को जस्टिस सुभाष चंद की अदालत ने एक मामले में सुनवाई करते हुए छोटे बेटे को अपने पिता को भरण पोषण के लिए तीन हजार रुपये का गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया है। इस संबध में हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए बूछोटे बेटे मनोज साव की याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट के आदेश में कहा कि अपने वृद्ध पिता का भरण-पोषण करना पुत्र का पवित्र कर्तव्य है। कोर्ट ने हिंदू धर्म में बताए गए माता-पिता के प्रति दायित्व का हवाला देते हुए कहा कि पिता तुम्हारा ईश्वर है और मां तुम्हारा स्वरूप है। वे बीज हैं और आप पौधा हैं। आपको अपने माता-पिता की अच्छाई और बुराई दोनों विरासत में मिलती हैं। एक व्यक्ति पर जन्म लेने के कारण कुछ ऋण होते हैं और उसमें पिता और माता का ऋण भी शामिल होता है, जिसे हमें चुकाना होता है।
अदालत ने कहा कि पिता के पास कुछ कृषि भूमि है, फिर भी वह उस पर खेती करने में सक्षम नहीं हैं। वह अपने बड़े बेटे पर भी निर्भर है, जिसके साथ वह रहता है। पिता ने पूरी संपत्ति में अपने छोटे बेटे मनोज साव को बराबर-बराबर हिस्सा दिया है, लेकिन छोटे बेटे ने 15 साल से अधिक समय से उनका भरण-पोषण नहीं किया।फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ मनोज साव ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। बता दें कि पिता ने मनोज कुमार से प्रति माह दस हजार रुपये की भरण-पोषण राशि मांगी थी। फैमिली कोर्ट ने पिता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पिता को भरण-पोषण के लिए तीन हजार रुपये प्रति माह देने का आदेश दिया था।