L19/Palamu : केंद्रीय अर्द्ध सैन्य बल (सीआरपीएफ) की 134 बटालियन को पलामू जिले से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। सीआरपीएफ बटालियन को पश्चिमी सिंहभूम के सारंडा में तैनात किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में आदेश दिया था। अगले कुछ दिनों में बटालियन को पूरी तरह से सारंडा के इलाके में शिफ्ट कर दिया जाएगा।
बताते चलें कि झारखंड-बिहार सीमा पर पलामू के इलाके के कई कैंप केंद्रीय रिजर्व बल (सीआरपीएफ) तैनात हैं। सीआरपीएफ की 134 वीं बटालियन तैनात है, जो झारखंड-बिहार सीमा पर नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व करती है. यह बटालियन पिछले एक दशक से भी अधिक समय से नक्सल विरोधी अभियान की कमान संभाली हुई थी। पलामू में जीएलए कॉलेज परिसर में सीआरपीएफ 134 बटालियन का हेडक्वार्टर है। झारखंड-बिहार सीमा पर डगरा, कुहकुह, मनातू, चक, हरिहरगंज में सीआरपीएफ की 134 बटालियन तैनात रही है।
पूरी बटालियन को सारंडा में किया जाएगा शिफ्ट
सीआरपीएफ एक टॉप अधिकारी ने बताया कि बटालियन को शिफ्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। दो कंपनी पहले से सारंडा के इलाके में तैनात है। जल्द ही पूरी बटालियन सारंडा के इलाके में शिफ्ट हो जाएगा। चाईबासा में बटालियन को मुख्यालय में जगह भी मिल गई है। यह बटालियन चाईबासा में तैनात सीआरपीएफ 7वीं बटालियन की जगह लेगी।
पलामू से सीआरपीएफ का रेंज ऑफिस भी होगा शिफ्ट
केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिलने वाला स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर (एसआरई) पलामू के लिए बंद करने की घोषणा हुई है। सीआरपीएफ का सारा खर्चा एसआरई के माध्यम से होता है। बटालियन क्लोज करने के बाद पलामू से सीआरपीएफ रेंज कार्यालय को भी शिफ्ट किया जाएगा। अविभाजित बिहार में नक्सली के दौर में पलामू से ही नरसंहार की की शुरुआत हुई थी, नक्सल के खिलाफ पहली बार 1995-96 में केंद्रीय रिजर्व बल (सीआरपीएफ) पलामू पहुंची थी और नक्सल विरोधी अभियान की शुरूआत की गई थी। सीआरपीएफ के नेतृत्व में प्रत्येक वर्ष 700 से अधिक नक्सल विरोधी अभियान संचालित होते हैं।