L19 Desk : झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) के अधिकारियों, कांट्रैक्ट कर्मियों, परियोजनाओं के प्रबंधकों पर जांच एजेंसियों की कार्रवाई शुरू हो गयी है। बालू मैनेजर अशोक कुमार और कोयला एजेंट इजहार अंसारी पर प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की तरफ से 14 ठिकानों में छापेमारी कर तीन करोड़ रुपये से अधिक कैश बरामद किये।
12 शेल कंपनियों का भी पता चला इडी को
इसमें से आधा दर्जन शेल कंपनियां रामगढ़ की हैं। इडी आइएएस पूजा सिंघल प्रकरण के बाद एक हजार करोड़ के अवैध खनन, बालू उत्खनन, कोल ट्रेडिंग, कारोबारियों पर नजर रख रही है। इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि रहे पंकज मिश्रा इडी की गिरफ्त में हैं। इडी की कार्रवाई से जेएसएमडीसी में हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि यहां के लिपिक और संविदा कर्मी 70 लाख से एक-एक करोड़ के फ्लैट में रांची में रहते हैं।
इतना ही नहीं कईयों ने तो अपने रिश्तेदारों से बड़े-बड़े शॉप से लेकर महंगे दुकान तक ले रखे हैं। इडी को इन तमाम लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए। इसमें जेएसएमडीसी से सेवानिवृत हुए जियोलाजिस्ट प्रवीर कुमार, प्रबंधक, माइंस मैनेजर तक की संपत्ति की जांच करानी चाहिए। इससे सारा सिंडिकेट का पर्दाफाश हो जायेगा।
इसके अलावा अवैध बालू खनन, कोल ट्रेडिंग का बड़ा खेल राज्य भर में चल रहा है।
जांच एजेंसियों को पता चला है कि जेएसएमडीसी की तरफ से रामगढ़, हजारीबाग, बाकारो और धनबाद जिले से कोयला (सॉफ्ट कोक व हार्ड कोक) फैक्टरियों को जेएसएमडीसी के माध्यम से कोल लिंकेज प्रति माह दिया जाता है। प्रत्येक वर्ष 5 लाख टन कोयला इन फैक्टरियों को मिलता है।
सूत्रों का कहना है कि जेएसएमडीसी की तरफ से जिन फैक्टरियों को कोयले की खेप भेजी जाती है, उसमें से अधिकतर बंद हैं। यहां खेल यह है कि जिस कोयले का उपयोग फैक्टरियों में होना चाहिए था, वह बनारस और डिहरी ओन-सोन के कोयला मंडियों में बेच दिया जा रहा है। हजारीबाग, रामगढ़, रांची में इडी की छापेमारी में इजहार अंसारी के साथ एक पूर्व विधायक और निलंबित आइएएस पूजा सिंघल के रिश्तों के गांठ भी मिले, जिसे सुलझाया जा रहा है।
कोल लिंकेज में कुजू स्थित बोंगाबार के ओला हार्डकोक फैक्टरी, कहकशां समूह की कंपनियां, राजहंस इस्पात, ओला कोक डिवीजन, जीएन इंडस्ट्रीज, एसएन कोल, एनए उद्योग, कहकशां इंडस्ट्रीज, ओकाशा कोक इंडस्ट्रीज, ओसा कोक इंडस्ट्रीज डिवीजन पर छापेमारी की गयी।
कोयले के अवैध कारोबार के पीछे है एक संगठित गिरोह
कोयले का यह अवैध कारोबार बेरोकटोक चल रहा है, क्योंकि इसके पीछे एक संगठित गिरोह काम कर रहा है, जिसमें दबंग अधिकारी और पुलिस वाले शामिल हैं। जानकारी के अनुसार खान एवं भूतत्व विभाग तथा जेएसएमडीसी को प्रत्येक टन तीन सौ से पांच सौ रुपये प्रति टन की वसूली की जाती है। 15 करोड़ से अधिक का सलाना कारोबार कोयले के अवैध ट्रेड से हो रहा है।
इसमें संबंधित जिलों के जिला खनन पदाधिकारी, संबंधित उप निदेशक खान, जेएसएमडीसी के माइंस एजेंट, कोयला प्रभारी और उनके अधीनस्थ कर्मी प्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। कोयले से प्रत्येक टन के हिसाब से वसूली पिछले कुछ माह से शुरू हुई है।
अवैध वसूली के इस कारोबार में शामिल लोगों को कोई दिक्कत नहीं होती। इसकी वजह कोयले पर प्रति टन होने वाली बचत है। फैक्टरियों को कम कीमत पर कोयला दिया जाता है। इसमें जेएसएमडीसी के एक निम्न वर्गीय लिपिक मनीष कुमार को कोल हैंडलिंग के आरोप में हटाया भी जा चुका है। अब ये फिर से निगम में बालू का काम देख रहे हैं। रामगढ़ में पदस्थापन के दौरान मनीष कुमार ने कोल लिंकेज में बड़ा घोटाला किया था।
फैक्टरियों को 4500 रुपये प्रति टन, जबकि बनारस में मिल रहा है 10 हजार रुपये प्रति टन कोयला
जेएसएमडीसी की तरफ से संबंधित फैक्टरियों को 4500 रुपये प्रति टन के हिसाब से कोयला मिल रहा है। फैक्टरियों को दिया जानेवाला कोयला बनारस मंडी तक पहुंच कर 10 हजार रुपये प्रति टन की दर से बेचा जा रहा है। प्रति दिन झारखंड से 200 से अधिक कोयला लदे ट्रक को बनारस मंडी, डिहरी मंडी तक भेजा जाता है। एक ट्रक कोयले को बनारस की मंडी तक पहुंचाने के लिए 13 से 14 हजार रुपये लगता है।
कुल मिला कर देखें तो फैक्टरियों को उपलब्ध कराया जानेवाला कोयले पर प्रति टन में नौ से 10 हजार रुपये की बचत होती है। इसलिए पूरे सिंडिकेट को कोयला कारोबारी आसानी से फिक्सड दर उपलब्ध करा दिया जाता है। पूर्व में भी रामगढ़ जिले से कोल ट्रेड को लेकर काफी गड़बड़ियां हुई थीं। इसमें जेएसएमडीसी के संविदा कर्मी से लेकर जीएम माइंस तक आरोप लगे थे।
रिपोर्ट : दीपक कुमार सिंह