L19 DESK : प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई से बचने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शीर्ष अदालत में किसी भी तरह की पीड़क कार्रवाई करने पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री की तरफ से इडी के पूछताछ से संबंधित समन को चुनौती देनेवाली याचिका में कहा है कि इडी पूछताछ के दौरान किसी को भी गिरफ्तार कर लेती है। यह उनका अधिकार है। इसलिए पूछताछ के दौरान हमेशा गिरफ्तारी का भय सताता रहता है। दायर किये गये पिटीशन में ईडी की गतिविधि को राजनीतिक कारणों से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने वाली कार्रवाई बताया गया है. मुख्यमंत्री ने अपनी याचिका में कहा है कि ईडी को पूछताछ के दौरान ही किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार है, जिससे मानसिक भय बना रहता है।
ईडी की गतिविधियां राज्य की चुनी हुई सरकार को अस्थिर करनेवाली कार्रवाई की तरह प्रतीत होती हैं। ऐसे में याचिकादाता का यह अधिकार है कि उसे बताया जाये कि उससे किस कथित अपराध के सिलसिले में साक्ष्य देने की जरूरत है। याचिकादाता को झूठे और मनगढ़ंत मामले में हिरासत में लेने की धमकी देकर सत्ताधारी दल से हाथ मिलाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। दायर याचिका में कहा गया है कि पीएमएलए-2002 की धारा 50 और 63 की वैधता को चुनौती दी गयी है।याचिका में कहा गया है कि पीएमएलए का यह प्रावधान संविधान द्वारा दिये गये मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।
भारतीय दंड विधान की धारा के तहत किसी मामले की जांच के दौरान जांच एजेंसी के समक्ष दिये बयान की मान्यता कोर्ट में नहीं है, लेकिन पीएमएलए की धारा 50 के तहत जांच के दौरान एजेंसी के समक्ष दिये गये बयान की कोर्ट में मान्यता है। पीएमएलए की धारा 19 के तहत जांच एजेंसी को धारा 50 के तहत बयान दर्ज करने के दौरान ही किसी को गिरफ्तार करने के अधिकार है। इससे पूछताछ व धारा 50 के तहत बयान दर्ज कराने के लिए समन जारी होने पर लोग डरे रहते हैं। सीएम ने कहा है कि ईडी ने उन्हें पहले अवैध खनन के सिलसिले में समन जारी किया था।
इस समन के आलोक में वह ईडी के समक्ष हाजिर हुए और अपना बयान दर्ज कराया। अपनी और पारिवारिक संपत्तियों का ब्योरा दिया,उनकी और उनके परिवार की सारी संपत्ति आयकर में घोषित है। जिन संपत्तियों का ब्योरा मांगा जा रहा है, वह सीबीआई को भी दिया जा चुका है, बावजूद इसके उन्हें नौ सितंबर को हाजिर होने का समन भेजा गया है। यह राजनीति से प्रेरित है।