L19/DESK : 3 मई से मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है,रोज वहां से प्रदर्शन, आगजनी और हिंसा की नयी नयी खबरें सामने आ रही हैं। मणिपुर के दो प्रमुख समुदाय मैतेई और कुकी में दूरियाँ बढ़ती जा रही हैं और अब तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो रही कि दोनों समुदाय एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन बैठे हैं एवं दोनों ही समुदाय पीछे हटने और समझौता के मूड में नहीं है,जिसके परिणाम स्वरूप मणिपुर राज्य पूरी तरह से अशांत हो चुका है। सरकार भी इसको लेकर चिंतित है और बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद वहां पहुंचकर शांति स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन परिणाम सार्थक नहीं रहा।
अब धीरे धीरे मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग उठ रही है वहीं दूसरी ओर मैतेई समुदाय ने केंद्र सरकार से अपील की दी है कि वे कुकी से बात नहीं करें। इंफाल के कई नागरिक समाज संगठनों के साझा मंच ‘कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटिग्रिटी (COCOMI)’ ने मणिपुर में जारी अशांति के लिए कुकी उग्रवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराते हुए केंद्र से अपील की कि वह उनसे बात नहीं करे। COCOMI ने यह भी दावा किया कि कुकी उग्रवादी संगठनों के सदस्य ‘विदेशी’ हैं। COCOMI के संयोजक जितेंद्र निंगोम्बा ने कहा, मीडिया के सूत्रों से हमें सूचना मिली है कि भारत सरकार कुकी संगठनों के साथ बातचीत करने वाली है,जिसका हम पूरी तरह से विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को संघर्ष विराम (एसओओ) से जुड़े संगठनों में से किसी के साथ वार्ता नहीं करनी चाहिए।
बताते चलें कि 2008 में केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार और दो कुकी उग्रवादी संगठनों– ‘कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन’ और ‘यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट’ के बीच SOO पर हस्ताक्षर किये गये थे। भविष्य में इस संधि की अवधि कई बार बढ़ाई गई थी। इधर निंगोम्बा ने कहा, हम कुकी उग्रवादी संगठनों और भारत सरकार के बीच किसी भी वार्ता के विरूद्ध हैं क्योंकि ये संगठन विदेशी नागरिकों के संगठन हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को कायम रखने और पृथक प्रशासन की अनुमति नहीं देने की अपनी मांग को लेकर COCOMI 29 जुलाई को रैली आयोजित करेगी।
इधर मणिपुर में चिन-कुकी-मिजो-जोमी संगठन से संबद्ध दस आदिवासी विधायकों ने मैतेई और आदिवासियों के बीच हिंसक संघर्ष के आलोक में केंद्र से अपने समुदायों के लिए पृथक प्रशासन के गठन की अपील की है। इस बीच, नई दिल्ली में COCOMI के प्रवक्ता के अथौबा ने राज्य और केंद्र सरकार पर मणिपुर में हिंसा को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, गुजरात दंगों (2002) के दौरान स्थिति को नियंत्रित करने में चार दिन लगे लेकिन मणिपुर जैसे छोटे राज्य में बल की तैनाती के बावजूद हिंसा को नियंत्रित क्यों नहीं किया जा सकता है। अथौबा ने असम राइफल्स पर उग्रवादियों का समर्थन करने का भी आरोप लगाया, और कहा कि उनका समूह इस संबंध में साक्ष्य इकट्ठा कर रहा है। उन्होंने मांग की कि अर्धसैनिक बल की कुछ बटालियनों को राज्य से हटा दिया जाए। असम राइफल्स ने पहले ही COCOMI के खिलाफ राजद्रोह और मानहानि का मामला दर्ज किया है, क्योंकि संगठन के प्रमुख ने बहुसंख्यक समुदाय से हथियार न सौंपने का आह्वान किया था।