आइये जानते हैं इन्ही सारे सवालों का जवाब
L19/DESK : इन दिनों राजधानी रांची मे काफ़ी गहमागहमी और चहलकदमी देखने को मिल रही है,प्रशासन से लेकर सरकार सभी एक-दूसरे के साथ बैठकों पर बैठक कर रहे है। सड़कों का नए सिरे से रंगरोपन किया जा रहा है, शहर की नालियों की सफाई की जा रही है, टूटी-फूटी सड़कों की फिर से मराम्मत भी की जा रही है,चौक-चौराहों पर ट्राफिक व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है। राजधानी मे इतना कुछ अचानक होते देख आप मे से बहुत से लोग सोच रहे होंगे कि आखिर! ऐसा क्यूँ किया जा रहा होगा?
तो आइए हम आपको बताते हैं इसका असली कारण…… झारखण्ड अलग हुए 23 साल होने जा रहा है और इन सालों मे झारखंड को 50 वर्षों के बाद (संयुक्त बिहार झारखंड) एक नया उच्च न्यायालय भवन मिलने वाला है। जी हाँ हम आप बिलकुल सही सुन-पढ़ पा रहे हैं। ये जो इन दिनों राजधानी मे चहलकदमी और गहमागहमी देखने को मिल रही है इसका असली कारण यही है। आगामी 24 मई को महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू झारखंड के दौरे पर आ रही है जिनके द्वारा 24 मई को एक अनोखा और विशालतम उच्च न्यायालय भवन का उद्घाटन किया जाने वाला है। यही कारण है कि बीते एक सप्ताह से राजधानी रांची मे तैयारियों को लेकर सरकार और प्रशासन दिन-रात लगी हुई है।
कैसी है नई उच्च न्यायालय भवन बनने की कहानी
करीब 72 एकड़ मे फैली और 600 करोड़ की लागत से बनी इस भवन की आधारशिला 9 फरवरी 2013 को तत्कालीन चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर द्वारा रखी गई थी। इसको 2017 मे पूरा ही होना था,परंतु किसी कारणवश इसके निर्माण कार्य मे देरी होने के कारण 18 जून 2015 से इसका निर्माण कार्य प्रारम्भ किया गया जो अब 2023 मे पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो चुका है। इस भवन को बनने मे करीब 8 सालों का लंबा समय लगा। वैसे 2 साल पहले ही इसका निर्माण कार्य पूरा हो सकता था, परंतु बीच मे कोरोना महामारी के कारण इसके निर्माण कार्य को रोकना पड़ा। यह भवन सुप्रीम कोर्ट से लगभग साढ़े तीन गुणी बड़ी है। बताते चले कि सुप्रीम कोर्ट 17 एकड़ भूभाग पर फैली है, इससे कोई भी कल्पना कर सकता है कि झारखंड हाईकोर्ट कितने बड़े क्षेत्र मे बनाई गई है। इस उच्च न्यायालय की न्यू ग्रीन बिल्डिंग का कंस्ट्रक्सन एरिया लगभग 14 लाख वर्ग फिट है। कोर्ट परिसर मे वकील और मुवक्किलों के वाहनों की पार्किंग के लिए बेहतरीन व्यवस्था की गई है, जहां एक साथ 2000 से अधिक वाहनों को पार्क किया जा सकता है।वहीं न्यायाधीशों के वाहनों के लिए मेब्रेन रौफ केनोपी वाले पार्किंग की अलग से व्यवस्था की गई है। इस कोर्ट परिसर मे लाइब्रेरी से लेकर खाने-पीने की सुविधाजनक कैंटीन की भी व्यवस्था की गई है। इस परिसर मे घुसते साथ ही खुशनुमा माहौल के साथ पानी का फव्वारा लोगों को रोमांच करता है। परिसर मे छोटे छोटे गार्डेन वातावरण को हरियाली बनाए रखती है। कुल मिलकर देखे तो इस इको फ्रेंडली कोर्ट परिसर मे पर्यावरण को भी ना नुकसान पहुंचे इसका पूरा खयाल रखा गया है। साथ ही कोर्ट परिसर को आत्मनिर्भर भी बनाया गया है,इसके लिए छत पर सोलर प्लेट्स लगाया गया है ताकि इस परिसर के लिए ऊर्जा खुद ही जेनरेट किया जा सके।
क्या रहा है झारखंड हाईकोर्ट का इतिहास
झारखंड उच्च न्यायालय देश के नवीनतम उच्च न्यायालयों में से एक है,जिसकी स्थापना 2000 ई.में बिहार पुनर्गठन अधिनियम,2000 के अधीन, झारखण्ड राज्य के निर्माण के बाद किया गया था। झारखंड उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 25 है। वर्तमान मे मुख्य न्यायधीश को मिलाकर कुल 20 न्यायाधीश हैं। झारखंड अलग राज्य बनने से पहले पटना उच्च न्यायालय की एक सर्किट बेंच की स्थापना पटना उच्च न्यायालय के पत्र पेटेंट के खंड 36 के तहत 6 मार्च 1972 को रांची में की गई थी । पटना उच्च न्यायालय (रांची में स्थायी पीठ की स्थापना) अधिनियम 1976 (1976 का अधिनियम 57) द्वारा 8 अप्रैल 1976 को सर्किट बेंच पटना उच्च न्यायालय की स्थायी पीठ बन गई। यही स्थायी पीठ अंततः झारखंड उच्च न्यायालय बन गई। वर्तमान मे झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा हैं,जिसकी नियुक्ति 20 फरवरी 2023 को महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा की गई थी।
भारत के संविधान मे क्या है प्रावधान
भारत की एकल न्यायिक व्यवस्था में उच्च न्यायालय उच्चतम न्यायालय के अधीन, लेकिन अन्य अधीनस्थ न्यायालयो के ऊपर होता है। भारतीय संविधान के भाग 6 के अध्याय 5 में अनुच्छेद 214 से लेकर अनुच्छेद 232 तक राज्यों के उच्च न्यायालय के संगठन एवं प्राधिकार संबंधी प्रावधानों का वर्णन दिया गया है. वर्तमान में देश में 24 उच्च न्यायालय हैं इनमें से 3 साझा उच्च न्यायालय हैं। केवल दिल्ली एक ऐसा संघ राज्य क्षेत्र है जिसका अपना उच्च न्यायालय 1966 से अस्तित्व मे है। संविधान के अनुच्छेद 214 में उच्च न्यायालयों का प्रावधान किया गया है। इसमें कहा गया है कि प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय होगा, परंतु संसद विधि के द्वारा एक से अधिक राज्यों के लिए भी एक ही उच्च न्यायालय गठित कर सकती है। अनुच्छेद 215 के अनुसार उच्च न्यायालय भी अभिलेख न्यायालय होगा। अनुच्छेद 216 के अनुसार उच्च न्यायालय का गठन एक मुख्य न्यायाधीश तथा ऐसे अन्य न्यायाधीश रूप से मिलकर किया जाएगा जिन्हें राष्ट्रपति समय-समय पर नियुक्त करें। अनुच्छेद 217 में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा उस राज्य के राज्यपाल के परामर्श से की जाएगी। उच्च न्यायालयों के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा उस राज्य के राज्यपाल का परामर्श लेगा।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल 65 वर्ष की आयु होता है,जबकि अन्य न्यायाधीशों का कार्यकाल 62 वर्ष की आयु होता है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं अन्य न्यायाधीशों को शपथ उस राज्य का राज्यपाल दिलाता है। मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीश राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देते हैं। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय में राष्ट्रपति के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से स्थानांतरण किया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 216 में उच्च न्यायालय के गठन का उल्लेख किया गया है इसमें यह कहा गया है कि प्रत्येक उच्च न्यायालय मुख्य न्यायमूर्ती और अन्य न्यायाधीशों से मिलकर बनेगा जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति समय-समय पर करेगा। सर्वोच्च न्यायालय की तरह उच्च न्यायालय की स्थिति में अन्य न्यायाधीशों की संख्या संविधान द्वारा निश्चित नहीं की गई है यही कारण है कि सिक्किम में सबसे कम न्यायाधीश हैं तथा उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक न्यायाधीश हैं। राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 223 के अंतर्गत कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश से तथा अनुच्छेद 224 के अंतर्गत अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति करने का अधिकार है।
भारत मे मुगलों के शासन के बाद 250 वर्षो तक अंग्रेजों ने शासन किया। इन 250 वर्षों मे अंग्रेजों ने समय समय पर देश के लिए कई नियम -कानून बनाये और उसी कड़ी मे रेगुलेटिंग एक्ट के तहत 1773 ई. मे कोलकाता मे देश का पहला सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई। यही से भारत मे न्यायपालिका का विकास आरंभ हुआ जो कालांतर मे होते हुये आज देश की एक जरूरी व्यवस्था बन गई है।आज देश मे कूल 25 उच्च न्यायालय हैं जहां देश की कानून व्यवस्था संचालित होती है।