L19 DESK EXCLUSIVE : राजधानी रांची में पेयजल और स्वच्छता विभाग के अभियंताओं औऱ ठेकेदारों की मिलीभगत से 26 करोड़ का घोटाला किया गया है। लोकतंत्र 19 की टीम सोमवार को घोटाले की जगह यानी टाटी पश्चिम पंचायत पहुंची। यहां पर पता चला कि 2019 से गिरिडीह की शिल्पी कंस्ट्रक्शन एंड इंजीनियरिंग को 26 करोड़ का हर घर नल जल योजना का काम सौंपा गया। यह काम तीन बार एक्सटेंशन लेने के बाद भी पूरा नहीं हुआ। कागजों पर 3341 घरों में पानी पहुंचाने का दावा किया गया। अब तक 8 इंच के सैकड़ों पाइप टाटीसिलवे पंचायत के पास पड़े हुए हैं। वहां घास-फूस उग आये हैं।
योजना के तहत टाटी पश्चिम, टाटी पूर्व , सिलवे और महिलोंग पंचायत के 13 कस्बों, मुहल्लों में स्वच्छ पीने का पानी पहुंचाना था। रांची पश्चिम अंचल की ओर से तत्कालीन कार्यपालक अभियंता शशिशेखर सिंह ने कार्यादेश दिया था। अब उनका तबादला हो गया है। चार सालों में एक भी घर में पीने का पानी नहीं पहुंचा। अभी तक योजना की टंकी का निर्माण भी नहीं हो पाया है। लेकिन विभागीय अधिकारियों की मदद से योजना का 22 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया। इसकी जवाबदेही किसकी है। क्या अभियंताओं ने इसके एमवी बुक को कैसे एप्रूव किया।
यह एक बड़ा घोटाला राजधानी से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर हुआ है। क्या है पूरा मामला टाटी पश्चिम के उप मुखिया अजय कुमार सिंह का कहना है कि योजना को तत्कालीन पेयजल औऱ स्वच्चता मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने स्वीकृत किया था। पर योजना का अधिकतर काम वर्तमान हेमंत सोरेन की सरकार के समय हुआ था। उस समय रांची पश्चिम के कार्यपालक अभियंता शशि शेखर सिंह थे। अभियंता प्रमुख श्वेताभ कुमार थे। इंजीनियर इन चीफ को ही पांच करोड़ से अधिक की लागतवाली योजना को तकनीकी रूप से स्वीकृत करने का पावर सरकार ने दिया था। योजना के तहत शिल्पी कंस्ट्रक्शन एंड इंजीनियरिंग्स वर्क्स लिमिटेड को सरकार ने 90 फीसदी का भुगतान कर दिया। यानी पाइप खरीदने के पैसे पहले ही कुछ महीनों में दे दिये गये।
वर्तमान में क्या है स्थिति
वर्तमान में छह लाख लीटर क्षमता का पानी की टंकी का निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है। यानी अब तक पानी की टंकी की छत की ढलाई तक नहीं हुई है। सिर्फ फिल्टरेशन प्लांट बनाया गया है। उसे सुवर्णरेखा नदी में बने संप से जोड़ने का काम भी पूरा नहीं हुआ है। लोकतंत्र 19 की टीम जब परियोजना स्थल पर पहुंची तो पाया कि संप से पानी लाने के लिए कनेक्शन दिये जाने का काम चल रहा है। चाबी लगाया जा रहा है। यह कहा गया कि राइजिंग मेन तक पानी अब पहुंच जायेगा। क्या सरकार सिर्फ यद दिखाना चाहती है कि नदी से फिल्टरेशन प्लांट तक पानी पहुंचाने का काम हो गया है। बाकी कागजों पर कनेक्शन तो दिखा ही दिया गया है।