L19 DESK : झारखंड के उद्दंड अफसरों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती है। झारखंड सरकार के कौन अधिकारी अथवा मंत्री ऐसे दागी अफसरों, कर्मियों को बचा रहे हैं। क्या झारखंड में गुड गवर्नेंस समाप्त हो गया है। जी हां हम इसलिए यह बातें कह रहे हैं ताकि आपको पता चल सके कि राज्य में क्या हो रहा है।
राज्य में एक प्रमोटी अंचल अधिकारी हैं शशि भूषण सिंह। काफी शोहरत अर्जित कर रखा है इस शख्स ने। पहले हल्का कर्मचारी थे। सेटिंग, गेटिंग, भूमि घोटाला और पैसे की भूख से आज की तारीख में अंचल अधिकारी बन गये हैं। 2019 में जब विधानसभा का चुनाव चल रहा था, तो पैसे के बल पर शशि भूषण सिंह एंड कंपनी ने 70 अंचलों में अपनी पोस्टिंग करा ली।अंचल निरीक्षक से सीओ के विभागीय प्रोन्नति परीक्षा में सिंगल रूम में परीक्षा देकर टॉप कर गये। दूसरे और तीसरे नंबर पर आनेवाले सहयोगी अभी भी अंचल निरीक्षक ही बने हुए हैं।
ये शख्स राजधानी रांची में हुए संजीवनी बिल्डकोन घोटाले के मुख्य सूत्रधार हैं। उस समय रातू अंचल में हल्का कर्मचारी हुआ करते थे। संजीवनी बिल्डकोन घोटाले में कंपनी के सभी प्रमोटर सलाखों के पीछे हैं। पर ये जनाब बाहर हैं। इनका साथ देनेवाले सीओ केके राजहंस भी बाहर हैं। इनके अलावा पांच अन्य आरोपी भी कानून की आड़ में घोटाला करने के बाद भी बाहर हैं। इन आरोपियों ने झारखंड हाईकोर्ट में रिट दायर कर संजीवनी बिल्डकोन घोटाले से अपने आप को निर्दोष साबित करने की मांग की थी और कहा था कि दाखिल-खारिज करने के मामले में इनका कोई हाथ नहीं था।
इनके खिलाफ सीबीआइ की विशेष अदालत में सीबीआइ और एसीबी के पांच-पांच मामले चल रहे हैं। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम चौधरी की अदालत ने इनकी अपील को खारिज कर दिया। अब सीबीआइ की तरफ से संजीवनी बिल्डकोन मामले में आरोप गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी। सीबीआइ ने अपनी जांच में कहा है कि सीओ रहे केके राजहंस और हल्का कर्मचारी शशि भूषण सिंह ने सेल कॉ आपरेटिव सोसाइटी की जमीन को संजीवनी बिल्डकोन के प्रमोटरों को गलत तरीके से जमाबंदी कर दी थी।
रांची के तत्कालीन वरीय पुलिस अधीक्षक ने कांड संख्या 169 ऑफ 2012, दिनांक 1.6.2012 को अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि जगरनाथ पुर अंचल के पुलिस निरीक्षक अरविंद कुमार चौधरी ने संजीवनी बिल्डकोन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अनिता दयाल नंदी और रातू अंचल के तत्कालीन सीओ, अंचल निरीक्षक और कर्मचारी ने खाता संख्या 219, खेसरा संख्या 5036, 5037, खाता संख्या 275 के प्लाट संख्या 5059, 5066, खाता संख्या 69 के प्लाट नंबर 5052, खाता संख्या 135 के प्लाट नंबर 5060 के साथ मिल कर षड़यंत्र रचा और धोखाधड़ी करते हुए जालसाजी से जमीन हड़पी।
इस खेल में हल्का कर्मचारी शशि भूषण सिंह, जमीन मालिक धर्मा महतो, तत्कालीन अंचल निरीक्षक मनोज कुमार दिक्षीत, संजीवनी बिल्डकोन के जयंत लाल नंदी, सीओ केके राजहंस, ओम प्रकाश यादव के विरुद्ध कार्रवाई की जाये। इसमें सरकार से महाधिवक्ता के परामर्श पर कार्रवाई करने की सिफारिश की गयी थी। इस रिपोर्ट को दबाने के लिए शशिभूषण सिंह एंड कंपनी ने तत्कालीन पुलिस अधिकारी को तीन करोड़ रुपये तक का ऑफर कर दिया था।
बाद में सीबीआइ ने तीन मामले इन आरोपियों के खिलाफ विशेष अदालत में दर्ज किया और इसमें एसीबी को भी शामिल किया गया। बताते चलें कि एसीबी के डीएसपी आरएन सिंह ने इस शशिभूषण सिंह को आय से अधिक मामले में क्लीन चिट दे रखी है। आरएन सिंह ने निगरानी कांड संख्या 16 ऑफ 2016, दिनांक 14 सितंबर 2016 को दबा दिया। इसके बदले में उन्हें उपकृत किया गया – जारी