L19 Desk : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन का आज 81वां जन्मदिन है। झारखंडी आवाम उन्हें दिशोम गुरु के नाम से पुकारती है। शिबू सोरेन का जन्म एक आदिवासी परिवार में हुआ। वर्तमान में वो झारखंड के प्रमुख आदिवासी नेता और भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वे झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक है। उनका जीवन आदिवासी समुदाय के अधिकारों के संघर्ष और झारखंड राज्य के गठन की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है।
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को बिहार (अब झारखंड) के रामगढ़ जिले के नेमेरा गाँव में हुआ था। वे एक आदिवासी परिवार से आते हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति साधारण थी, लेकिन सोरेन ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद अपनी जातीय पहचान और समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया। शिबू सोरेन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव से ही प्राप्त की और फिर धनबाद से उच्च शिक्षा ग्रहण की। राजनीतिक सफर शिबू सोरेन का राजनीति में कदम 1970 के दशक में हुआ था, जब उन्होंने आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना शुरू किया। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की, जो झारखंड राज्य के गठन के लिए आंदोलन कर रहा था।
शिबू सोरेन ने 1970 के दशक में आदिवासी संघर्षों को संगठित किया और झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की। उनकी पार्टी ने झारखंड के लिए अलग राज्य की मांग को प्रमुखता से उठाया। यह आंदोलन झारखंड के आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने के लिए था, क्योंकि वे महसूस करते थे कि बिहार राज्य के अंदर उनके अधिकारों की अनदेखी हो रही थी। शिबू सोरेन का संघर्ष झारखंड राज्य के गठन में निर्णायक साबित हुआ। 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ, और शिबू सोरेन ने इसे एक ऐतिहासिक जीत माना। वे इसके मुख्यमंत्री बनने के लिए 2005 में चुने गए, हालांकि उनका कार्यकाल कुछ विवादों में घिरा रहा। शिबू सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में दो बार कार्य किया। पहली बार 2005 में, और दूसरी बार 2009 में। उनका कार्यकाल राजनीतिक विवादों से घिरा रहा, लेकिन उन्होंने राज्य के विकास के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की।
शिबू सोरेन ने भारतीय संसद के लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में भी प्रतिनिधित्व किया। वे 2009 और 2014 में झारखंड से लोकसभा सदस्य के रूप में चुने गए। आदिवासी अधिकारों का संघर्ष शिबू सोरेन ने हमेशा आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष किया है। उनका मानना था कि आदिवासी समुदाय का शोषण और उनके संसाधनों की लूट हो रही है। उनका उद्देश्य था कि आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास की दिशा में सुधार हो और उनकी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा हो। शिबू सोरेन का निजी जीवन साधारण था। उनका परिवार आदिवासी संस्कृति और परंपराओं के प्रति बहुत ही सम्मानपूर्ण था।