L19 DESK : झारखंड सरकार के मिड डे मील के खाते से 101 करोड़ रुपयों का घोटाला करने के मुख्य आरोपित संजय तिवारी ने ईडी की विशेष अदालत में सोमवार को सरेंडर किया । वह 25 मार्च से फरार चल रहा था। इस बीच संजय तिवारी के फर्जी कोविड रिपोर्ट का मामला उजागर हुआ। जिसमें रिम्स के माइक्रोबायलाजी विभाग के एक कर्मी और संजय तिवारी के स्टाफ की गिरफ्तारी हुई है।
पैसे की लालच में तैयार हो रहे फर्जी रिपोर्ट
रिम्स के स्वास्थ्य कर्मियों की मिलीभगत पर मोटी रकम के फेर में फर्जी कोविड रिपोर्ट मिनटों में बनाया जा रहा है। इस तरह की फर्जी रिपोर्ट पकड़े जाने पर रिम्स प्रबंधन ने बरियातू थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसके बाद रिम्स के माइक्रोबायलाजी विभाग के एक कर्मी प्रियरंजन रवि को गिरफ्तार कर पूछताछ किया जा रहा है । शनिवार को यह मामला सामने आया जब 101 करोड़ के मिड डे मील घोटाले के मुख्य आरोपी संजय तिवारी ने रिम्स से फर्जी तरीके से कोविड रिपोर्ट 25 मार्च को बनवाया था।
पुलिस मामले की जांच कर रही है
संजय तिवारी की इस रिपोर्ट पर ईडी ने रिम्स प्रबंधन से इसकी सच्चाई के बारे में पूछा था, जिसके बाद रिम्स निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी बना कर जांच की गई, जिसमें यह कोविड की रिपोर्ट फर्जी पायी गई। प्रबंधन ने पूरी अंतरिम रिपोर्ट बरियातू थाने को सौंपते दी है। रिम्स अधीक्षक डा हीरेंद्र बिरुआ ने बताया कि इसमें माइक्रोबायलाजी विभाग के डाक्टर हैं या कर्मी शामिल है, यह अब पुलिस के हाथ है। वो पूरे मामले की तलाशी कर रही है। दूसरी तरफ रिम्स माइक्रोबायलाजी विभाग के एचओडी से भी बाकी रिपोर्ट की जांच रिपोर्ट मांगी गई है।
दो आरोपियों की हुई गिरफ्तारी
पुलिस मामले की तलाशी कर दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें एक रिम्स का कर्मी प्रियरंजन रवि है और दूसरा संजय तिवारी का स्टाफ अमरदीप राय शामिल है। पुलिस ने बताया कि अभी दोनों आरोपियों से पूछताछ हो रही है और इसके बाद आगे की कार्रवाई भी होगी। संभावना जताया जा रहा है कि इस पूरे मामले में रिम्स के किसी बड़े अधिकारी का भी हाथ हो सकता है, हालांकि, इस पूछताछ के बाद कोई नया तथ्य सामने आ सकता है।
बात दें की संजय ने रिम्स के माइक्रोबायलाजी विभाग के नाम पर फर्जी कोविड जांच रिपोर्ट दिखाया था । जिसकी लैब आईडी 19nCov/8L36068 और एसआरएफ आईडी 2033902753189 है, जो फर्जी निकला। किसी व्यक्ति ने गलत ढंग से एतवा टोप्पो के व्यक्तिगत डाटा को आईसीएमआर के पोर्टल पर अपलोड करने के बाद डाउनलोड कर रिपोर्ट पर फर्जी हस्ताक्षर किया था।