L19 DESK : झारखंड सरकार रोजाना दो करोड़ रुपये की बिजली पावर ट्रेडिंग एक्सचेंज से खरीद रही है। यानी 400 से 500 मेगावाट अतिरिक्त बिजली झारखंड के लिए खरीदा जा रहा है। फिलहाल राज्य में औसतन 2800 से तीन हजार मेगावाट बिजली की खपत हो रही है, जो सामान्य दिनों की तुलना में आठ सौ मेगावाट अधिक है। सामान्य दिनों में डीवीसी कमांड एरिया समेत राज्य भर में बिजली की डिमांड 2000 से 2200 मेगवाट तक रहती है। गर्मी में खासकर पीक ऑवर में यह बढ़कर 2500 से 2800 मेगावाट तक पहुंच जाती है। यानि कि 400-500 मेगवाट तक मांग बढ़ जाती है, जिससे आपूर्ति में अंतर हो जाता है।
नतीजतन बिजली संकट उत्पन्न हो जाता है और लोड शेडिंग की समस्या उत्पन्न हो जाती है। गरमी में बिजली के संकट को देखते हुए इंडियन इनर्जी पावर एक्सचेंज से अतिरिक्त बिजली खरीदी जा रही है। इसमें दो करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है। झारखंड राज्य विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का विभिन्न बिजली उत्पादक कंपनियों के साथ समझौता भी हुआ है। समझौते के तहत 3.25 रुपये से लेकर पांच रुपये तक बिजली झारखंड को मुहैया करायी जा रही है।
जेवीभीएनएल के सीएमडी, निदेशक केके वर्मा के निर्देश के बाद स्थाई तौर पर मांग के अनुसार, बिजली खरीदने के लिए पावर पर्चेज एग्रीमेंट करने का निर्णय लिया गया है। जारी निर्देश के बाद डिमांड और खपत पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसके बाद सेंट्रल पावर एक्सचेंज की कंपनियां डीवीसी, एनटीपीसी और सेकी से पीपीए किया जाएगा। जेबीवीएनएल वितरण और प्रोजेक्ट निदेशक केके वर्मा ने बताया कि सीएम के निर्देश के बाद डिमांड और खपत पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है। गर्मी में डिमांड के अनुरूप बिजली की मांग को पूरी करने के लिए पीपीए किया जाएगा। ताकि ऊंची दर पर बिजली न खरीदना पड़े। तत्काल बिजली खरीदी पर अनेक तरह की तकनीकी समस्या होती है. इसलिए सरकार इसके स्थाई हल की ओर बढ़ रही है।