गोपालका प्रोजेक्ट्स, समिति के राजकुमार केडिया और संजीव खिरवाल को बेची गयी जमीन
कांके अंचल के बुकरू स्थित बाड़ू में है रांची गौशाला न्यास गोकुल धाम की 15.98 एकड़ जमीन
L19 DESK : रांची गौशाला न्यास समिति गोकुल धाम की 15.98 एकड़ जमीन अब गोपालका प्रोजेक्ट्स और इनके पार्टनर रहे राजकुमार केडिया और संजीव खिरवाल की हो गयी है। यह जमीन गौशाला न्यास समिति के सचिव प्रदीप गाड़ोदिया ने बेची है। यानी गौशाला में गौ माता के पालन और उसके रखरखाव के लिए चिह्नित जमीन को बेच कर न्यास समिति के पदाधिकारियों ने नयी शुरुआत कर दी है। यह दलील दी जा रही है कि न्यास समिति के सभी सदस्यों की इसमें सहमति ली गयी है। पहले इन्होंने अपने नाम से जमीन बेचने का एक अथोराइजेशन लेटर 16 जुलाई 2021 को बनवाया। इसमें उन्होंने खुद ही अपने अथोराइजेशन लेटर में हस्ताक्षर किये और हस्ताक्षर की संपुष्टि गौशाला के प्रबंधक शत्रुध्न सिंह ने किया। इसके बाद प्रदीप राजगढ़िया ने फर्स्ट पार्ट के रूप में राजकुमार केडिया (वर्तमान में गौशाला समिति के ट्रस्टी), संजीव खिरवाल और गोपालका प्रोजेक्ट्स को बेच दी। इसके लिए सात जुलाई 2021 को डीमांड ड्राफ्ट के माध्यम से 23.01 लाख रुपये से अधिक का भुगतान लिया गया। साथ ही साथ इसी दिन एक अन्य डीमांड ड़्राफ्ट से 9.15 लाख और चेक के माध्यम से 75,500 रुपये का भुगतान किया गया। बताते चलें कि रांची गौशाला न्यास समिति गोकुलधाम का निबंधन सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत किया गया है। जिस जमीन को सचिव के माध्यम से बेचा गया है, उसके बारे में यह दलील दी गयी है कि गांव में अंदर जमीन होने की वजह से वहां गौशाला बनाना संभव नहीं था। गौशाला न्यास समिति के बुकरू स्थित बाड़ू गांव के प्लाट नंबर 1625, 1617, 1621, 1623, 1700 और 1701 के कुल 6.05 एकड़ जमीन का सौदा 43.40 लाख में दो वर्ष पहले किया गया है। अब न्यास समिति के सदस्यों की नाराजगी की वजह से यह बातें सामने आयी है। इस सौदे में गोपालका प्रोजेक्ट्स के लिए कुल चार डीड बनाने का दावा किया गया है।
काफी पुरानी संस्था है रांची गौशाला
बताते चलें कि रांची गौशाला एक पुरानी संस्था है। इसमें न सिर्फ दूधारू गायों, बल्कि बीमार गायों की देखरेख की जाती है। इसके अलावा यहां पर गोबर के उपले के विभिन्न प्रकारों के प्रोडक्ट बना कर उसे 10 रुपये किलो के हिसाब से बेचा भी जाता है। रांची के किशोरगंज में रांची गौशाला न्यास समिति का कार्यालय है। इसके अलावा ओरमांझी और अन्य जगहों में भी गौशाला के केंद्र स्थापित हैं। बाडू, बुकरू में राज्य सरकार की निर्धारित सरकारी सर्किल रेट 10 हजार रुपये प्रति डिसमिल के नीचे है। वर्तमान सचिव प्रदीप राजगढ़िया की तरफ से 7174 रुपये प्रति डिसमिल की दर से गोपालका प्रोजेक्ट्स को निबंधन किया गया है। अब सवाल यह उठता है कि नौ साल पहले यदि गोपालका प्रोजेक्ट्स को 5.85 एकड़ जमीन दी गयी, तो क्या उसी रेट पर 2021 में भी छह एकड़ से अधिक जमीन की रजिस्ट्री कर दी गयी। जानकारी के अनुसार बाडू, बुकरू में साफ-सुथरी जमीन नहीं के बराबर है और अच्छी जमीन है भी तो मुख्य सड़क पर आज जमीन का भाव लगभग आठ हजार रुपये प्रति डिसमील से अधिक है। गौशाला समिति के सदस्यों का कहना है कि यदि गौशाला को जमीन बेचनी ही थी तो समाज में खुली निविदा (टेंडर) आमंत्रित क्यों नहीं किया गया। चूपचाप समिति के पदाधिकारियों ने अपने बीच ही जमीन का सौदा कैसे कर लिया। इसकी जांच जरूरी है।
जिसने जमीन खरीदी है, वह खुद हैं गौशाला न्यास के ट्रस्टी
गौशाला न्यास समिति के ट्रस्टी राजकुमार केडिया ने खुद गौशाला की जमीन खरीदी है। उनके बारे में बताया जाता है कि वे गोपालका प्रोजेक्ट्स के पार्टनर हैं। इनके पार्टनरों में संजीव खीरवाल भी हैं। यानी जमीन बेचनेवाले जो खुद समिति के सचिव हैं, उन्होंने समिति के ट्रस्टी को ही जमीन बेच दी। यह सब कैसे किया गया, यह एक बड़ा सवाल है। गौशाला को दान और चंदा से बाड़ू की भूमि मिली थी। इसे पदाधिकारियों ने रजिस्टर्ड डीड से खरीद लिया। अब मारवाड़ी समाज में यह बातें तेजी से फैल रही है कि समाज की दान, चंदा और आपसी सहयोग से अर्जित संपत्तियों की खरीद-बिक्री शुरू हो जायेगी। ऐसे में तो पुरखों और समाज की संपत्तियों का बुरा हाल हो जायेगा और जमीन की नियमों की आड़ में खरीद बिक्री कर दी जायेगी।
क्या कहते हैं वर्तमान सचिव प्रदीप राजगढ़िया
गौशाला न्यास समिति गोकुलधाम के वर्तमान सचिव, जिनके मार्फत 6.05 एकड़ जमीन बेची गयी है, उनका कहना है कि 2013-14 में ही गोपालका प्रोजेक्ट्स को 5.85 एकड़ जमीन बेची गयी थी। इसके बाद बची हुई 6.05 एकड़ जमीन बेची गयी है। इसमें कोई गलत नहीं है। चुंकि गांव के अंदर गौशाला बनाने का कोई लाभ नहीं था इसलिए समिति ने जमीन को बेचने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी सचिव रहते हुए सज्जन सर्राफ ने गौशाला की जमीन बेची थी। उसी तर्ज पर 2021 में गोपालका प्रोजेक्ट्स को जमीन बेची गयी