L19/Ranchi : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य की जनता के साथ प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का जुड़ाव नहीं है। जुड़ाव और विकास के लिए संवाद जरूरी है। झारखंड में ग्रामीणों को योजनाओं की जानकारी देने के लिए उनकी क्षेत्रीय भाषा की जानकारी आवश्यक है। प्रोजेक्ट भवन मंत्रालय में सिविल सर्विसेज डे कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने आईएएस और आईपीएस अफसरों से पूछ दिया-कितने अधिकारी संथाली-मुंडारी और हो भाषा जानते हैं। इस भाषा में बोल सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने बोला अधिकारियों को क्षेत्रीए जानना जरुरी है
यह सुनते ही वहां सन्नाटा छा गया। उन्होंने कहा- पंजाब में रहने वाले झारखंड के लोग पंजाबी बोल सकते हैं। यहां के अधिकारी दूसरे राज्यों में तमिल और कन्नड़ बोल सकते हैं तो आप झारखंड की भाषा क्यों नहीं बोल सकते। फिर उन्होंने कहा-आप ये नहीं जानेंगे तो दूसरा आपका फायदा उठाएगा। नए अधिकारियों के लिए यह बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा-राज्य में करीब 2000 लोक सेवक हैं। इनमें 1400 सिविल सर्विसेज के हैं। अगर सभी अधिकारी चाह लें तो हर योजना धरातल पर उतर जाएगी। लेकिन, हैरानी की बात है कि 1974-75 की कई योजनाएं भी अब तक अधूरी हैं।
सीएम ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वो जनता के बीच जाएं
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, झारखंड को बने हुए 22 साल से अधिक हो चुका है, फिर भी झारखंड जहां था, वहीं खड़ा है। यही वजह है कि झारखंड देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल है। जबकि झारखंड में प्रकृति ने अपार संपदाएं दी हैं। प्राकृतिक सौंदर्य एवं मानव बल भी हमारे राज्य में है। हमारे पास वैसा कोई कारण नहीं है, जिससे हम पिछड़े राज्यों में शुमार हों।
उन्होंने अधिकारियों से कहा, राजनेता आते-जाते रहते हैं परंतु आप सभी लोक सेवक लंबे समय तक राज्य की सेवा में कार्यरत रहते हैं। इसलिए जरूरी है कि अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को निष्ठापूर्वक और ईमानदारी से पूरा करें। सीएम ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वो जनता के बीच जाएं, उनकी बातों को समझें और फिर उसी के अनुरूप योजनाओं को लागू करें।