L19/DESK : झारखण्ड में स्थित रांची विश्वविध्यालय, डॉ. श्यामा प्रसाद विवि समेत कई विश्वविद्यालयों में विवि शिक्षकों की भारी कमी है। एक आँकड़े के अनुसार वर्तमान समय में लगभग 40% यूनिवर्सिटी शिक्षकों का पद रिक्त हैं,इसका सीधा असर कॉलेज की गुणवता पढ़ाई पर पड़ रहा है। स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति के बिना क्वालिटी एजुकेशन की बात करना बेमानी है। इधर यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने भी हाल ही में देशभर के सभी विश्वविद्यालयों को रिक्त पदों पर नियम के अनुसार शीघ्र नियुक्ति करने को कहा है। इस संबंध में विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा देशभर के विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर जानकारी भी दी है। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी के कारण सिर्फ पढ़ाई ही प्रभावित नहीं होती है बल्कि नेट ग्रेडिंग पर भी असर डालता है। रिक्त पदों के मामले में शिक्षकों से भी खराब स्थिति कर्मचारियों की है जो विश्वविद्यालय के लाइफलाइन माने जाते हैं। वर्तमान समय में कर्मचारियों के 60% पद रिक्त हैं। कर्मचारियों की तीन दशक से स्थाई नियुक्ति नहीं हुई है।
इधर राज्य की यूनिवर्सिटी में 500 से ज्यादा जेआरएफ पास अभ्यर्थियों को शोध निदेशक नहीं मिलने का सबसे बड़ा कारण राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी है। शोध निदेशक सिर्फ स्थाई शिक्षक को ही बनाया जा सकता है यानी नेट पास करने के बाद भी पीएचडी करना आसान नहीं है। राज्य के विवि में स्थाई नियुक्ति नहीं होने से एडहॉक सिस्टम को बढ़ावा मिल रहा है। रिटायर शिक्षक की जगह अनुबंध शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है,इसमें यूनिवर्सिटी प्रशासन की रूचि भी अधिक है, क्योंकि आवश्यकता के अनुसार यूनिवर्सिटी स्तर पर अनुबंध आधारित शिक्षकों की नियुक्ति करने में इन्हें किसी प्रकार का समस्या नहीं है। राज्य के विश्वविद्यालयों के अंतर्गत कुल 62 अंगीभूत कॉलेज हैं। इसमें से 90% प्रिंसिपल का पद वर्तमान समय में रिक्त है। कामचलाऊ व्यवस्था के तहत प्रभारी प्रिंसिपल के भरोसे कॉलेज संचालित किए जा रहे हैं। रांची यूनिवर्सिटी के अंतर्गत 18 अंगीभूत कॉलेज हैं, लेकिन स्थाई प्रिंसिपल सिर्फ तीन हैं।