L19 DESK : केंद्र सरकार देश के हर गांव में विजली पहुचाने का नारा दे रही हैं, दूसरी और झारखंड के कोयला नगर के बड़े इलाको में साल 2019 से कई मुहल्ले अँधेरे में हैं। इस बारे में नगर निगम का तर्क है कि इंटीग्रेटेड सड़कों की जांच एसीबी कर रही है। मतलव उन सड़कों पर कुछ भी नया काम नहीं हो सकता हैं। बिजली और अन्य तरह की परेशानियाँ झेल रहे आम लोगो का कहना है कि अधिकारी और ठेकेदार दोनों मिलकर घोटाला करते हैं।
जांच से हमें क्या लेना देना है. आखिर हम क्यों बर्दाश्त करें? बताते चले कि धनबाद के रघुवर नगर में लगभग एक हजार लोग रहते हैं। यहां के लोग शाम होते ही अपने घरों में दुबक जाते हैं, और सड़कों पर अंधेरा पसर जाता है। सुनसान सडक पर अंधेरे का लाभ असामाजिक तत्व उठाते हैं। नशेड़ियों पियक्कड़ों का जमावड़ा लग जाता है। इसी कारण शाम होने के बाद महिलाएं घर से नहीं निकलती हैं। 2018 में इंटीग्रेटेड सड़क बनाई गयी रही और स्ट्रीट लाइट भी लगायी गयी थी।
स्ट्रीट लाइट लगाई तो जरुर गयी थी पर पर एक दिन भी जली नही। वहां के लोगो ने बताया की ये इलाका नया हैं यहाँ चोरी और अपराध का दर बना रहता हैं। जानकारी हो कि प्राक्कलन घोटाला में फंसने के कारण स्ट्रीट लाइट पिछले तीन साल से बुझी हुई है, और वर्ष 2018 में 14वें वित्त आयोग के 156 करोड़ खर्च कर विभिन्न वार्डों में इंटीग्रेटेड सड़क बनायी गयी थी। वहीं इसमें 38 ग्रुप का टेंडर हुआ।
इंटीग्रेटेड सड़क के साथ नाली और स्ट्रीट लाइट का भी कॉन्सेप्ट था ताकि सड़क 10 से बारह साल तक आसानी से चल सके. इस काम की शुरुआत 2018 में हुई थी। वहीं इसके कुछ का काम पूरे हो गए, तो कुछ कार्य 80-90 प्रतिशत तक ही हुआ। इसी बीच एक गुमनाम पत्र पर एसीबी की जांच शुरू हो गयी। इस विवाद और जांच के बाद नगर निगम प्रशासन ने इंटीग्रेटेड सड़कों के निर्माण पर रोक लगा दी।बताते चलें कि शहर में इन जगहों पर बनी है इंटीग्रेटेड सड़क रघुवर नगर, सुगियाडीह, कुसुम विहार, कोलाकुसमा, विनोद नगर, धैया आदि जगहों पर शहर में इंटीग्रेटेड सड़क का निर्माण हुआ है. इन जगहों पर 1100 लाइट लगायी गयी थी, जो कभी जली ही नहीं।