L19 DESK : हाल ही में कैबिनेट की बैठक में घंटी आधारित शिक्षकों का मानदेय 36 हजार रुपये से बढ़ा कर 57 हजार कर दिया गया। पर यह विडंबना ही है। राजधानी के डोरंडा कालेज में पढ़ा रहे सहायक प्राध्यापकों को सात महीने से मानदेय का भुगतान नहीं किया जा रहा है। हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य के इंजीनियरिंग कालेजों में पढ़ानेवाले सहायक प्रोफेसर, जिन्हें घंटी के आधार पर कक्षाएं दी जाती हैं, उनका मानदेय भी बढ़ाने का फैसला लिया गया। सरकार ने इनका भी मानदेय बढ़ा दिया है। पर कैबिनेट का यह फैसला डोरंडा कालेज के एक दर्जन से अधिक सहायक प्राध्यापकों को वेतनमान भी नहीं दिया जा रहा है।
प्राचार्य श्री वर्मा का कहना है कि मेरे कार्यकाल में घंटी आधारित सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति नहीं की गयी है। इसलिए मैं भुगतान नहीं करूंगा। यानी प्रत्येक दिन सहायक प्राध्यापकों को आठ से दस कक्षाएं दी जा रही हैं। इनके भरोसे ही स्नातक, स्नातकोत्तर स्तर के सभी विषयों का पाठ्यक्रम पूरा किया जा रहा है। डोरंडा कालेज में ये सहायक प्राध्यापक पिछले दस वर्षों से अधिक समय से अध्यापन का कार्य संपादित कर रहे हैं। पर इन्हें कभी भी नियमित तरीके से मानदेय का भुगतान नहीं किया जाता रहा है। कहने को डोरंडा महाविद्यालय प्रबंधन नैक ग्रेडिंग के लिए सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। पर इस दिशा में कोई खास कदम नहीं उठाये जा रहे हैं।