L19/Ranchi : झारखण्ड हाईकोर्ट ने नेता प्रतिपक्ष या विरोधी दल के नेता पर एक सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश विधानसभा को दिया है ।चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने कहा कि यदि एक सप्ताह में इस मामले पर निर्णय नहीं लिया गया तो विधानसभा सचिव को अदालट में सशरीर हाजिर होना होगा । बुधवार को हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन एवं एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह निर्देश दिया । अगले सप्ताह फिर इस मामले की सुनवाई होगी । एडवोकेट एसोसिएशनकी ओर से पक्ष रखते हुए अधिववक्ता नवीन कुमार ने अदालत को बताया कि राज्य में नेता प्रतिपक्ष नहीं रहने के कारण कई समस्याएं आ रही है ।
इस कारण कई संवैधानिक पदों पर नियुक्ति नहीं हो रही है । राज्य में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने के बहाना बनाकर सरकार नियुक्ति नहीं करना चाह रही है । सरकार का यह कहना कि आयोग के सदस्य और अध्यक्ष की नियुक्ति नेता प्रतिपक्ष नहीं रहने के कारण बाधित है ,गलत है । ऐसा प्रावधान भी है कि अगर नेता प्रतिपक्ष न हो तो उनकी जगह पर राज्य में दूसरे सबसे बड़े दल के नेता की सहमति से नियुक्ति की जा सकती है ।
अवमानना याचिका पर भी एक साथ हुई सुनवाई
बुधवार को इस जनहित याचिका के साथ एक अवमानना याचिका पर भी सुनवाई हुई । अवमानना याचिका प्रार्थी राजकुमार ने दायर की है । प्रार्थी के अधिवक्ता अभय मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि जानकारी आयोग में रिक्त पदों को भरने के लिए विपक्ष के नेता के पद के रिक्त रहने से कोई समस्या नहीं है । कानून में ऐसा प्रावधान है कि अगर नेता प्रतिपक्ष नहीं है तो विपक्ष के सबसे बड़ी पार्टी के नेता को कमेटी में रखकर राज्य सूचना आयुक्त एवं अन्य पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जा सकती है । उन्होंने अदालत को बताया कि वर्ष 2020 में हाईकोर्ट ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित एक याचिका को राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद निष्पादित कर दिया गया था । उस समय सरकार की ओर से कोर्ट में अंडरटेकिंग देते हुए कहा गया था कि जानकारी आयुक्तों की नियुक्ति जल्द कर ली जाएगी । सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं होने पर वर्ष 2021 में प्रार्थी राजकुमार ने अवमानना याचिका दाखिल की है ।