L19 DESK : झारखंड में सर्पदंश के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले एक माह में मौत का ग्राफ भी बढ़ा है। बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने सर्पदंश से संबंधित एडवाइजरी जारी की है। बताया गया है कि राज्य के विभिन्न जिलों में एंटी स्नेक वेनम की 9532 डोज उपलब्ध है। स्वास्थ्य विभाग ने रिम्स निदेशक समेत सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य और सभी जिलों के सिविल सर्जन को पत्राचार करते हुए सर्पदंश से होने वाली आकस्मिक घटनाओं के बचाव, रोकथाम और उपचार से संबंधित मार्गदर्शिका का अनुपालन करने का निर्देश दिया है।
एडवाइजारी में कहा गया है कि सर्पदंश से लोगों की मौत का मुख्य कारण इलाज में देरी और समुदाय में जागरूकता की कमी है। राज्य में पाए जाने वाले सांप की 250 से अधिक प्रजाति में केवल 25% ही जहरीली है। रसेल वाइपर सबसे ज्यादा खेतों में मिलता है, जिसके काटने पर खून पतला हो जाता है और ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। जबकि करैत काले रंग का होता है और सफेद रंग की रिंग जैसी बैंड बने होते हैं। जून से सितंबर माह तक सर्पदंश के मामले ज्यादा देखे जाते हैं. अक्सर सांप के काटने से लोग घबरा जाते हैं. घबराहट के कारण ही हृदय गति रुकने से ज्यादातर लोगों की मौत हो जाती है।
स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश दिया है कि बारिश के मौसम में सर्पदंश के मामले के बढ़ने की आशंका को देखते हुए अपने-अपने संस्थानों में एंटी स्नेक वेनम की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करें। साथ ही सर्पदंश से सावधानी व इलाज के प्रति लोगों को जागरूक कराने पर ध्यान दें, ताकि उन्हें नजदीकी अस्पताल में ससमय इलाज मिल सके और उनकी जान बचाई जा सके।