L19/Ranchi : राज्य के ग्रामीण इलाकों में अब बिना फार्मासिस्ट के भी दवा दुकानें खुलेगी । इन दुकानों में उन दवाओं की बिक्री हो पाएगी, जिनके लिए फार्मासिस्ट का होना अनिवार्य नहीं है । सरकार ने राज्य की सभी पंचायतों में ऐसी एक-एक दवा दुकान स्थानीय युवाओं के जरिए खोलने का फैसला लिया है ।
स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए पांच अप्रैल तक आवेदन मुखिया या पंचायत सचिवों के जरिए मांगे हैं । पारासिटामोल सहित फंगल इंफेक्शन, दर्द से राहत दिलाने वाली कुछ क्रीम, कब्ज, दस्त और उल्टी की कुछ दवाएं हैं, जिनकी खरीद-बिक्री में फार्मासिस्ट या डॉक्टर की सलाह की जरूरत रहती है ।
इसके अलावा, थर्मामीटर, आक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर सहित कई ऐसे उपकरणों में भी यह छूट है । औषधि एवं अंगराग अधिनियम, 1940 एवं संबंधित नियमावली के तहत पंचायतों में खोली जानेवाली दवा दुकानों को रेस्ट्रिक्टेड लाइसेंस मिलेगा । लाभुक और स्थल चयन की जिम्मेदारी मुखिया और पंचायत सचिव की रहेगी, जिसपर प्रखंड विकास पदाधिकारी अनुमोदन करेंगे । मिलें आवेदनों की अंतिम रूप से समीक्षा के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी और औषधि निरीक्षक संयुक्त अनुशंसा के साथ आवेदन उस क्षेत्र के अनुज्ञापन प्राधिकारी को स्वीकृति देंगे ।
कल्याण विभाग की ओर से आर्थिक सहायता
दवा दुकानों के लिए लाइसेंस लेने वाले युवाओं को औषधि निरीक्षकों एवं डॉक्टरों की ओर से प्रशिक्षण दिया जाएगा । इसके साथ ही कल्याण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री रोजगार गारंटी कार्यक्रम के अंतर्गत इच्छुक लाइसेंसधारियों को आर्थिक सहायता मुहाया कराएगी । संबंधित प्रखंड विकास पदाधिकारी बैंक से कर्ज दिलवाने में भी मद्दत करेगी ।
शैक्षणिक योग्यता इंटरमीडिएट होना अनिवार्य
दवा दुकान के लिए आवेदक की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता इंटरमीडिएट या उसके समान अनिवार्य की गई है । इसमें उच्च योग्यता वाले युवा को वरीयता मिलेगी । इसके अलावा संबंधित गांव के स्थानीय निवासी और स्वयं के स्वामित्व वाली दुकान के आवेदक को भी प्राथमिकता मिलेगी । लाइसेंस लेने वाले युवाओं को हेल्पलाइन नंबर 104 के साथ समन्वय स्थापित करते हुए टेलीमेडिसिन और टेलीकंसल्टेशन की भी सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी ।
झारखंड फार्मासिस्ट एसोसिएशन, झारखंड के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि ओवर द काउंटर (ओटीसी) श्रेणी में आनेवाली दवा टूथपेस्ट, कास्मेटिक समेत कई अन्य दवाओं की बिक्री के लिए फार्मासिस्ट की अनिवार्यता औषधि और अंगराग नियमावली में खत्म की गई है ।
उन्होंने कहा कि पंचायतों में दवा दुकान खोलने की योजना एक अच्छी पहल है, लेकिन बिना फार्मासिस्ट दवा बेचने की छूट का दुरुपयोग भी हो सकता है । इन दवाओं के साथ दवा दुकानदार अन्य दवा की बिक्री करने लगें तो उन्हें रोकना पड़ेगा । झारखंड में हजारों फार्मासिस्ट बेरोजगार हैं । अगर अच्छा होता इन बेरोजगार फार्मासिस्ट को लाइसेंस देकर पंचायतों में दवा दुकान खोलने के लिए प्रोत्साहित करते ।