L19 DESK : ग्रामीण कार्य विभाग के निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम पर अब एसीबी में केस दर्ज होगा। 125 करोड़ की अवैध संपत्ति अर्जित करने और करप्शन के मामले में निलंबित अभी है। यह केस आय से अधिक संपत्ति और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत दर्ज किया जाएगा। सीएम हेमंत सोरेन ने इसपर अपनी सहमति दे दी है। वहीं इंजीनियर वीरेंद्र राम के पैटरनल विभाग जल संसाधन ने ईडी की ओर से सरकार को जो रिपोर्ट दी गयी है, उसके बाद से आदेश जारी किया है। केस दर्ज करने से संबंधित पत्र मंत्रिमंडल, निगरानी व सचिवालय विभाग को भेज दिया है। विधि विभाग ने भी सहमति दे दी है। बता दे 15 नवंबर 2019 को सुरेश वर्मा नाम के इंजीनियर घूसखोरी के आरोप में पकड़ाए थे। उनके किराए के मकान से 2.67 करोड़ कैश मिले थे।
एसीबी इस कार्रवाई के दौरान उन्होंने बताया था कि यह सभी राशि वीरेंद्र राम के हैं। लेकिन उस समय एसीबी ने वीरेंद्र को आरोपी नहीं बनाया था। जब ईडी की कार्रवाई में करप्शन के स्तर का खुलासा हुआ तब एसीबी ने इसी केस में वीरेंद्र को आय से अधिक संपत्ति का आरोपी बनाने का फैसला लिया। चूंकि यह मामला कोर्ट में ट्रायल फेज में था तो कोर्ट ने मेंटेनेबल नहीं माना। कोर्ट ने तब अपने निर्देश में एसीबी को कहा था कि वे चाहे तो अलग से एफआईआर करा सकती है। आप सभ जानते होंगे 21 फरवरी को इसी साल ईडी ने ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के 24 ठिकानों पर छापा मारा था। इस दौरान वीरेंद्र राम द्वारा बनाई गई कंपनियों के अलावा 100 करोड़ की संपत्ति का पता चला था। छापामारी के दौरान डेढ़ करोड़ रुपए के जेवरात और करीब 30 लाख नगद मिले थे।
ईडी ने वीरेंद्र राम के पारिवारिक सदस्यों, उनके दिल्ली स्थित सीए मुकेश मित्तल के पारिवारिक सदस्यों, ठेकेदार अतीकउल्लाह अंसारी और आलोक रंजन के ठिकानों पर छापेमारी की थी। जमशेदपुर निगरानी ने ठेकेदार विकास शर्मा की शिकायत पर 2019 में प्राथमिकी दर्ज की थी। ठेकेदार ने शिकायत की थी कि उसने 14.54 लाख रुपये का काम पूरा कर लिया है। इसमें से सात लाख का भुगतान उसे मिल चुका है। शेष सात लाख रुपये के भुगतान के लिए कनीय अभियंता सुरेश वर्मा 4% की दर से 28 हजार रुपये घूस मांग रहे हैं। शिकायत पर निगरानी ने कनीय अभियंता को 10 हजार रुपये घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। तलाशी के दौरान उनके घर से जेवर और 2.44 करोड़ रुपए नकद मिले। यह रुपए वकील आलोक रंजन के बताए गए। एडी ने निगरानी में दर्ज प्राथमिकी को ईसीआईआर के रूप में दर्ज कर जांच शुरू की। जांच के दौरान सुरेश वर्मा ने बताया कि बरामद रुपए कार्यपालक अभियंता वीरेंद्र राम के थे। इसकी जानकारी मिलने के बाद ईडी ने वीरेंद्र राम और उसके पारिवारिक सदस्यों के सिलसिले में जांच शुरू की। इसमें कई सनसनीखेज मामलों की जानकारी और सबूत मिलने के बाद 21 फरवरी को छापा मारा।