L19 Desk/Govind Toppo : RSS प्रमुख मोहन भागवत के जनसंख्या को लेकर दिये गये बयान के बाद सियासी माहौल गरमा गया है। एक तरफ संत, हिंदू समाज के लोग और NDA के नेता भागवत के बयान का समर्थन कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष के नेता लगातार RSS प्रमुख पर हमलावर हो रहे हैं। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस नेता व नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार सहित कई नेताओं ने भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया दी है।
AIMIM चीफ ओवैसी ने कहा कि भागवत जी कहते हैं कि जनसंख्या बढ़ानी चाहिए. लेकिन मैं मोहन भागवत से पूछना चाहता हूं कि क्या वह यह सुनिश्चित करेंगे कि बच्चों को कुछ फायदा मिले? वह अधिक बच्चे पैदा करने वालों को क्या देंगे? क्या वह अधिक बच्चे पैदा करने वालों के बैंक खातों में 1500 रुपये देंगे? क्या वह इसके लिए कोई योजना लायेंगे? जब मोहन भागवत अपने किसी करीबी को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्हें इसके लिए कोई योजना लानी चाहिए।
ओवैसी ने यह भी कहा कि भागवत को अपने समुदाय से उदाहरण लेकर दिखाना चाहिए। भागवत के बयान पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि संघ प्रमुख का बयान समाज में नफरत फैलाने का एक और प्रयास है। उन्होंने इस बयान को विवादास्पद और सांप्रदायिकता से प्रेरित बताया। ओवैसी ने मोहन भागवत पर हमला करते हुए कहा कि ऐसे बयान केवल देश में असंतोष और विवाद को बढ़ावा देते हैं।
भागवत के बयान पर असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया पर झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कड़ी टिप्पणी की। बाबूलाल ने कहा कि मोहन भागवत ने ज्यादा कुछ नहीं कहा है। दो-तीन बच्चे तो होने ही चाहिए, अगर दो भी होंगे तो बराबर हो जायेगा। भागवत ने यह बयान देश के हित में दिया है। उन्होंने मीडियाकर्मियों से अनुरोध किया कि आप लोग रिपोर्ट को ठीक से पढ़िए और लोगों को इस पर सही जानकारी दीजिए। ओवैसी के बयान पर पलटवार करते हुए यह तो एक रिपोर्ट है, जो विशेषज्ञों ने तैयार की है। टोपी वाले लोग कुछ समझ नहीं पाते और हैदराबाद के टोपी वाले को संघ के खिलाफ बोलने का शौक रहता है। वह जो भी बोलते हैं, केवल विवाद खड़ा करने के लिए बोलते हैं। ओवैसी को केवल संघ के खिलाफ बोलने का मौका चाहिए, जबकि मोहन भागवत का बयान सिर्फ वैज्ञानिक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण से था।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि मोहन भागवत के बयान को कौन समझ रहा है? कोई नहीं समझ रहा है। मोहन भागवत ने अपनी सोच के हिसाब से बयान दिया है। जनसंख्या अपने आप में देश का बहुत बड़ा मुद्दा है। इस मुद्दे पर अगर कुछ बोलेंगे तो दूसरी तरफ ले जायेंगे। बेहतर यही है कि मोहन भागवत ने जो कहा है सोच समझकर ही कहा होगा।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि मोहन भागवत पिछले कुछ समय से जब कुछ बोलते हैं तो वह बीजेपी को असहज कर देता है। पिछली बार भी मोहन भागवत के हर मस्जिद में मंदिर क्यों ढूंढना वाले बयान ने मंदिर-मस्जिद पर राजनीति करने वाले बीजेपी नेताओं को परेशानी में डाल दिया था। वहीं एक बार फिर मोहन भागवत के बयान ने बीजेपी वालों के मुंह में दही जमा दिया होगा। फखरुल हसन चांद ने कहा कि सपा की विचारधारा आरएसएस से नहीं मिलती। लेकिन भागवत ने अगर कुछ सही कहा है तो उसे सही कहना गलत नहीं होगा।
कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी मोहन भागवत के बयान पर सवाल उठाये हैं। उमंग सिंघार ने भागवत से सवाल करते हुए कहा कि ‘जो पहले से हैं उनको तो नौकरियां दिलवा दो, नौकरियां है नहीं, फसल की जमीन कम हो रही हैं और आप चाहते हैं कि 2 से ज्यादा बच्चे हों। देश में वैसे ही बेरोजगारी है। जो आज युवा हैं, उनको तो नौकरियां मिल नहीं पा रही, फसल की जमीने कम होती जा रही है जबकि जनसंख्या बढ़ती जा रही है। मोहन भागवत चीन से सीख नहीं ले रहे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अगर जनसंख्या की इतनी चिंता है तो मोहन भागवत, पीएम मोदी, योगी को सबसे पहले इसकी शुरुआत करनी चाहिए। दरअसल आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत रविवार को नागपुर में कठाले कुल सम्मेलन में एक सभा में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने जनसंख्या में कमी को पर गहरी चिंता व्यक्त की। भागवत ने कहा कि देश की जनसंख्या नीति 1998-2002 में तय की गयी थी। इसके तहत अगर किसी समाज की जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे चली जाती है, तो वह समाज अपने आप नष्ट हो जायेगा। अगर हम 2.1 की जनसंख्या वृद्धि दर चाहते हैं, तो हमें दो से अधिक बच्चों की जरूरत है। कहा कि तीन तो होने ही चाहिए। जनसंख्या विज्ञान यही कहता है। समाज के बने रहने के लिए संख्या महत्वपूर्ण है। उन्होंने घटती आबादी से समाज और भाषा दोनों को खतरा है।