L19/Ranchi : राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने बुधवार को झारखंड राज्य में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण बढ़ाने की मांग वाले विधेयक को वापस कर दिया है। सरकार ने इस विधेयक के जरिये अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे को बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया था। इसे विधानसभा में पारित भी करा लिया गया था।
राज्यपाल ने सर्कार के निर्णय को क्यों ठुकराया
विधेयक में अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे को 14% से बढ़ाकर 27% और अनुसूचित जनजाति के कोटे को 26% से बढ़ाकर 28% और अनुसूचित जाति को 10% से 12% करने का निर्णय सरकार ने लिया था। राजभवन का मानना है कि यदि यह विधेयक पारित हो जाता है, तो राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10% आरक्षण को शामिल करने के साथ सरकार की नौकरियों में कुल आरक्षण 77 प्रतिशत हो जाएगा।
राजभवन सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल की तरफ से भारत के अटॉर्नी जनरल से कानूनी राय ली गयी है। इसके बाद ही इस विधेयक को लौटाया गया। तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस ने बिल को अटॉर्नी जनरल को भेजा था, जिसमें आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को ध्यान में नहीं रखता है। उस राय को ध्यान में रखते हुए, बिल को समीक्षा के लिए पिछले महीने सरकार के पास वापस भेज दिया गया था, अधिकारी ने कहा नवंबर में बिल पारित किया गया था।