- केंद्रीय ग्रिड से जेबीवीएनएल खरीद रहा है बिजली, तब शहरी और ग्रामीण इलाकों को हो रही आपूर्ति
L19 DESK : झारखंड में गरमी की सुगबुगाहट से बिजली की खपत भी बढ़ने लगी है। एयर कंडिशनर, कूलर, फ्रीज के बगैर कमरे में रहना मुश्किल हो गया है। पिछले दो-तीन दिनों से झारखंड राज्य विद्युत वितरन निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) की तरफ से पीक आवर में एक-एक घंटे की लोड शेडिंग सभी जगहों पर की जा रही है। जानकारी के अनुसार गरमी में राज्य भर में बिजली की औसत मांग आठ सौ मेगावाट से ऊपर बढ़ गयी है।
जहां राज्य में बिजली की खपत 2000 मेगावाट से कुछ अधिक है, वह अभी बढ़ कर तीन हजार मेगावाट तक पहुंच गयी है। इसकी वजह से ही गरमी की शुरू होने से पहले ही राज्य में बिजली संकट गहराने लगा है। नौबत यहां तक आ गयी है कि अब उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति के लिए जेबीवीएनएल को अतिरिक्त बिजली खरीदनी पड़ रही है। जेबीवीएनएल ने 400 मेगावाट बिजली खरीद कर विद्युतापूर्ति सामान्य करने की कोशिश की है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी कहा है कि उपभोक्ताओं को गर्मी में बिजली संकट का सामना नहीं करना पड़े।
राज्य में बिजली संकट की कई वजहें हैं। राज्य में बिजली का उत्पादन तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन, सिकिदरी हाईडल प्रोजेक्ट, आधुनिक पावर, गोला के इनलैंड पावर संयंत्र से ही होती है। राज्य के पास बिजली 11 विभिन्न स्रोतों से मिलती है। इसमें उतार-चढ़ाव होता रहता है। अब शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की मांग लगभग बराबर रहने लगी है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश के बाद उपभोक्ताओं को बिजली संकट से निदान के लिए जेबीवीएनएल ने केंद्रीय ग्रिड से बिजली खरीदना शुरू किया है। यह बिजली विभाग ने इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से रियल टाइम मार्केट के माध्यम से खरीदी जा रही है, जहां एक यूनिट के लिए सरकार को 12 रुपये तक देने पड़ रहे हैं। पावर ट्रेडिंग की रेट प्रति दिन अलग-अलग होती है। फिलहाल केंद्रीय ग्रिड यानी एनटीपीसी से सात सौ मेगावाट, एनएचपीसी से लगभग 70 मेगावाट, डीवीसी से 608 मेगावाट बिजली मिल रही है।
राजधानी रांची के अलग-अलग ग्रिड में भी बिजली की आपूर्ति कम हो रही है। वहीं लोकल फाल्ट भी परेशानी की बड़ी वजह है। राजधानी के विभिन्न ग्रिड को देखें तो नामकुम ग्रिड को सामान्य दिनों में 110 मेगावाट तक बिजली मिलती है। जबकि गर्मी के कारण यहां 80 मेगावाट तक ही बिजली मिल रही है। हटिया ग्रिड को 120 मेगावाट की जगह 90 मेगावाट, कांके ग्रिड को 80 मेगावाट की जगह 50, बुढ़मू ग्रिड को 35 मेगावाट की जगह 18 मेगावाट बिजली मिल रही है