L19 DESK : अब झारखंड के लोग भी विदेशों की तरह शीशे के पुल (स्काई ग्लास ब्रिज) का मजा ले सकेंगे। देश-विदेश के पर्यटकों को रिझाने के लिए प्रकृति की गोद में बसे झारखंड में स्काई ब्रिज, रोप वे और जू सफारी को लेकर काम शुरू हो गया है। राज्य के तीन जलप्रपातों हुंडरू, दशम और जोन्हा के साथ-साथ पतरातू और नेतरहाट में स्काई ब्रिज बनाने का फैसला राज्य सरकार ने लिया है। झारखंड में नेचर टूरिज्म को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ऐसा किया जा रहा है। बन जाने के बाद यह देश का तीसरा स्काई वॉक ब्रिज होगा। इन पांचों पर्यटन स्थलों का फिजिबिलिटी वेरिफिकेशन भी कराया जा रहा है।
सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही झारखंड के लोग भी चीन-जापान की तरह शीशे के पुल पर चलकर प्रकृति के गोद में बसे जोन्हा, हुंडरू, दशम, पतरातू और नेतरहाट के खूबसूरत नजारो का आनंद ले सकेंगे। यहां बनने वाला ग्लास ब्रिज यहां की खूबसूरती और पर्यटन में चार चांद लगा देगा। पर्यटन विभाग की माने तो स्काई ग्लास ब्रिज में स्काई वॉक का रोमांच पर्यटकों को अपनी ओर खींचने में कामयाब होगा। पर्यटन निदेशालय की तरफ से इस काम के लिए राइट्स नामक कंपनी का चयन किया गया है।
चीन में बना था दुनिया का पहला स्काई ग्लास ब्रिज
चीन में बने पहले स्काई ग्लास ब्रिज को जब 20 अगस्त, 2016 में आम लोगों के लिए खोला गया था, तब यह उस समय दुनिया का सबसे ऊंचा और लंबा ग्लास स्काई वॉक ब्रिज था। इस कांच के पुल की कुल लंबाई 430 मीटर (1410 फीट) और चौड़ाई 6 मीटर (20 फीट) है। इतना ही नहीं, यह शीशे का पुल जमीन से लगभग 300 मीटर (980 फीट) की ऊंचाई पर है।
क्या कहते है पर्यटन सचिव?
राज्य के पर्यटन सचिव मनोज कुमार ने बताया कि स्काई वॉक पर सरकार काम कर रही है। राज्य में चार-पांच पर्यटन स्थलों का चयन भी कर लिया गया है। लेकिन, विभाग नेतरहाट और पतरातू घाटी को ज्यादा प्राथमिकता दे रहा है, क्योंकि पतरातू घाटी ज्यादा ऊंचाई पर है और वहां से रांची का खूबसूरत प्राकृतिक नजारा भी दिखता है। नेतरहाट को भी प्राथमिकता दी जा रही है, क्योंकि वहां सनसेट (सूर्यास्त) का नजारा काफी खूबसूरत रहता है और वहां की घाटी भी काफी गहरी है। उन्होंने बताया कि स्काई ब्रिज के लिए टेंडर जारी किया गया था, जिसमे राइट्स कंपनी ने रूचि दिखाई. निदेशालय से विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है। हालांकि, रेट को लेकर थोड़ा संशय है, जिसे जल्द दूर कर लिया जायेगा।