L19 DESK : झारखंड विधानसभा का ष बजट सत्र खत्म हो चुका है। इस पूरे बजट सत्र में अगर आपने गौर किया होगा, तो प्रदीप यादव एकमात्र ऐसे विधायक थे, जिन्होंने जनता से जुड़े मुद्दों को आवाज़ दी, समाज के सभी वर्गों के मुद्दे को पटल पर रखा, विधायक होने के दायित्वों को समझा, अपनी पार्टी कांग्रेस द्वारा किये गये चुनावी वादों पर बात किया, और तो और अपने ही सरकार के मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल उठाने से भी परहेज़ नहीं किया। कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने सदन में वो तमाम मुद्दे उठाये जिसका जनता से सीधे सरोकार है, चाहे वह ओबीसी के आरक्षण में बढ़ोतरी का मुद्दा हो, ओबीसी के लिये अलग से मंत्रालय बनाने की मांग हो, अल्पसंख्यकों के शिक्षा में सुधार का मुद्दा हो, जातीय जनगणना, एसपीटी एक्ट का उल्लंघन, सरना धर्मकोड, नर्सिंग कॉलेज का निर्माण, मैनपावर सप्लाई करने वाली कंपनियों की मनमानी, केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अनुदान में कटौती और यहां तक की स्वर्णरेखा परियोजना में हुई गड़बड़ी, और ई-रिक्शा खरीद-बिक्री में हुई गड़बड़ी का ही मुद्दा क्यों न हो। ये सारे मुद्दे जनता से जुड़े हैं, और बेहद अहम हैं।
स्वर्णरेखा परियोजना और ई रिक्शा की खरीद बिक्री में गड़बड़ी को लेकर तो प्रदीप यादव ने मंत्री योगेंद्र प्रसाद की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिये थे, इस मुद्दे को उठाते हुए वह मानो नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में आ गये थे। स्वर्णरेखा परियोजना मामले में हुई कैशियर संतोष कुमार के ऊपर कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए प्रदीप यादव ने कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर की अविलंब गिरफ्तारी की मांग कर दी। उनका मानना था कि निचले स्तर के कर्मचारी से ज्यादा बड़ी कार्रवाई ऊंचे स्तर के कर्मचारियों पर होनी चाहिये, क्योंकि घोटाले के मास्टरमाइंड वही होते हैं, और वे लोग ही छोटे कर्मचारियों पर गड़बड़ी करने का दबाव बनाते हैं। प्रदीप यादव के प्रयास से आखिरकार स्वर्णरेखा परियोजना गड़बड़ी मामले में कार्यपालक अभियंता समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई।
इसी तरह ई रिक्शा खरीद बिक्री में कटौती को लेकर भी विधायक प्रदीप यादव ने सरकार को आईना दिखा दिया। प्रदीप यादव ने सदन को बताया कि ग्रामीण स्वच्छता मिशन के तहत ई रिक्शा की खरीद बिक्री में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है। इस मामले में उन्होंने, सरकार से जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने, और इसकी जांच मुख्य सचिव स्तर के पदाधिकारियों से कराने की मांग की।
इसी कड़ी में बात करें, ओबीसी आरक्षण में बढ़ोतरी और जातीय जनगणना की, तो कांग्रेस ने इसे अपने चुनावी मेनिफेस्टो में शामिल किया था। जातीय जनगणना को लेकर प्रदीप यादव ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने अपने हाथ पीछे कर लिये हैं, लेकिन राज्य सरकारें चाहें तो जनगणना करा सकती हैं। ऐसे ही उन्होंने ओबीसी आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की मांग की। हालांकि, इससे संबंधित बिल पिछले कार्यकाल में विधानसभा से पारित होकर राष्ट्रपति के पास लंबित पड़ा है। ऐसे में प्रदीप यादव ने सरकार को अपनी दायित्वों से अवगत कराते हुए मांग की कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात करे, और बिल को पास करने के लिये दबाव बनाये। ओबीसी आरक्षण के साथ ही उन्होंने ओबीसी वर्ग के लिये एक अलग मंत्रालय की भी मांग रखी। इस बीच प्रदीप यादव ने सरना धर्मकोड का भी मुद्दा उठाया।
बजट सत्र के दौरान प्रदीप यादव ने अल्पसंख्यक मुसलमानों के शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों को मजबूती से उठाया। उन्होंने राज्य में अल्पसंख्यकों के लिए अलग से उर्दू-फारसी विश्वविद्यालय के स्थापना और मदरसा बोर्ड के गठन की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं के शिक्षा स्तर में बढ़ोतरी को लेकर भी अपनी चिंता व्यक्त की।
वहीं, बजट सत्र के दौरान उन्होंने विलुप्त होती कादर और लैया जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग की। इसके साथ ही प्रदीप यादव ने अपने क्षेत्र गोड्डा में अदाणी द्वारा पावर प्लांट स्थापित करने के लिये जमीन अधिग्रहण में कथित तौर पर एसपीटी एक्ट के उल्लंघन और शर्तों की अवमानना का मामला भी उठाया। उन्होंने सदन से इस मामले में जांच कराने की भी मांग की। आपको बता दें कि अदाणी पावर प्लांट और इसकी स्थापना के लिये ज़मीन अधिग्रहण का प्रदीप यादव हमेशा से विरोध करते रहे हैं, ज़मीन अधिग्रहण से संबंधित मुद्दे वह पहले भी सदन में उठा चुके हैं।