l19/DESK : 12 अगस्त यानी सोमवार को केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि आदिवासी भी हिंदू ही हैं। इसके तर्क में सिविल अधिकार अधिनियम, 1995 का हवाला देते हुए कहा कि हिंदू धर्म के किसी भी रूप को मानने वाले व्यक्ति हिंदू ही कहे जाएंगे। इसमें लिंगायत, आदिवासी, ब्रहम समाज, प्रार्थना समाज, आर्य समाज जैसे अन्य संप्रदाय के अनुयायी शामिल हैं,साथ ही बौद्ध, सिख और जैन धर्म को मानने वाले भी हिंदू माने जायेंगे। बता दें सांसद डॉ. मन्ना लाल रावत ने यह सवाल पूछा था कि क्या जनजातीय लोगों को भी हिंदू के रूप में परिभाषित किया गया है?जिस पर मंत्री अर्जुन मेघवाल ने यह जवाब दिया है। केंद्र सरकार के इस जवाब से झारखंड सहित देश भर में 12 करोड़ से अधिक आदिवासियों की सरना धर्म कोड की मांग को तगड़ा झटका लगा है।
ज्ञात हो कि झारखंड के आदिवासी सरना धर्म कोड की मांग लंबे समय से करते आ रहे हैं, जिसको लेकर 11 नवंबर 2021 को हेमंत सरकार ने विधानसभा में यह प्रस्ताव पास कराया था कि आदिवासी/सरना धर्म कोड को राष्ट्रीय जनगणना कॉलम में शामिल किया जाये। इस संबंध में सरकार ने तीन साल पहले ही केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था, जिस पर अभी तक फैसला नहीं आया है।
वैसे भी झारखंड में आदिवासी/सरना धर्म कोड की मांग लंबे समय से राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है और आंदोलन और राजनीति लगातार होती रही है। एक तरफ भाजपा इस मुद्दे पर चुप रहती है, वहीं दूसरी तरफ झामुमो और कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर हमलावर रही है। झामुमो और कांग्रेस इसको लेकर भाजपा को हमेशा कटघरे में खड़ा करने का काम करती है,अब क्योंकि केंद्र सरकार में भाजपा की सरकार है और झारखंड में अगले दो-तीन माह में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे वक्त में केंद्रीय मंत्री का जवाब चुनावी मुद्दा बन सकता है।