L19DESK : झारखंड में पुलिस न तो अपराध पर नियंत्रण कर पा रही है और न ही आम लोगों को सुरक्षा दे पा रही है। राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को खुली छूट देने के बावजूद ऐसा हो रहा है। हाई कोर्ट ने झारखंड पुलिस की अपराध नियंत्रण की क्षमता पर भी चिंता जताई है और झारखंड पुलिस के आंकड़े इन दावों की पुष्टि करते हैं। जब बात महिलाओं की सुरक्षा की आती है तो स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है। तीन पुलिस अधीक्षकों (एसपी) और 19 से अधिक पुलिस स्टेशनों के साथ राजधानी शहर में बलात्कार के मामलों की संख्या सबसे अधिक है।
विशेष रूप से रांची में पिछले छह महीनों में बलात्कार की 106 घटनाएं हुई हैं। साथ ही छेड़खानी की सबसे ज्यादा घटनाएं धनबाद में हुईं।पिछले छह महीने के पुलिस आंकड़े बताते हैं कि रांची में दुष्कर्म के सबसे ज्यादा मामले सामने आये हैं। जनवरी से जून तक राज्य में दुष्कर्म के 794 मामले सामने आये हैं, जिसमें 106 घटनाएं रांची में घटी हैं। मई में ही रांची दूसरे स्थान पर आ गयी थी। जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल और जून में रांची में बलात्कार के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किये गये।
इसी अवधि में छेड़छाड़ की कुल 383 घटनाओं में से धनबाद में 88 घटनाएं हुईं। जनवरी में, धनबाद में 81 में से 20 मामलों के साथ छेड़छाड़ की सबसे अधिक घटनाएं दर्ज की गईं। फरवरी में धनबाद में 54 में से 18 घटनाएं हुईं, मार्च में 60 में से 15 घटनाएं हुईं, अप्रैल में 5 घटनाएं हुईं और जून में 76 घटनाएं हुईं। धनबाद में कुल 14 मामले दर्ज किये गये। पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से जून के बीच राज्य में कुल 2,832 लड़कियां और महिलाएं विभिन्न तरीकों से उत्पीड़न का शिकार हुई हैं। इनमें 101 बेटियों को दहेज के लिए मार डाला गया, 864 लड़कियों ने दहेज के कारण पुलिस से मदद मांगी और 690 बहुओं का अपहरण कर लिया गया।