L19 DESK : झारखंड हाईकोर्ट से झारखंड के उत्पाद विभाग में काम कर रही तीन कंपनियों को बड़ी राहत मिली है। मुख्य न्यायाधीश संजय मिश्र और जस्टिस आनंदा सेन की खंडपीठ में मामले पर 29 अगस्त को सुनवाई होनी थी, पर इसकी सुनवाई 26 सितंबर तय कर दी गयी। हाईकोर्ट ने तब तक सुमीत फैसिलिटीज लिमिटेड, प्राइम वन वर्क फोर्स प्राइवेट लिमिटेड औ इगल हंटर सोल्यूसंस के खिलाफ किसी भी तरह की पीड़क कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। बताते चलें कि छत्तीसगढ़ की कंपनी सुमित फैसिलिटीज लिमिटेड के विकास कुमार, प्राइम वन वर्क फोर्स प्राइवेट लिमिटेड के रीतेश कुमार और इगल हंटर सोल्यूसंस लिमिटेड के अधिकृत हस्ताक्षरी किशन कोमाने ने झारखंड सरकार के उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के खिलाफ 400 करोड़ का सर्टिफिकेट केस करने के बाबत राहत देने की अपील की थी।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि झारखंड सरकार ने पहले ही उनकी बैंक गारंटी की जमा राशि 48 करोड़ रुपये जब्त कर लिये। एक साल की अवधि यानी 2022-23 में से चार महीने तक झारखंड स्टेट बीभरेज कारपोरेशन लिमिटेड की तरफ से पर्याप्त माल नहीं दिया गया। इतना ही नहीं जेएसबीसीएल की तरफ से गरमी में बीयर की आपूर्ति नहीं की गयी, वहीं सर्दियों में रम की किल्लत कर दी गयी। जहां देशी शराब की बिक्री महीने की पांच लाख पेटी थी, उसकी भी समय पर आपूर्ति नहीं की गयी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि हमलोगों को सरकार की ओर से प्लेसमेंट का काम दिया गया था, ताकि शराब की दुकानों में देशी और अंगरेजी शराब की बिक्री की सुनिश्चितता बनायी जा सके। पर सरकार ने हमारे बैंक गारंटी फोरफिट कर लिये।
हम पर कई तरह के कानून और नियमों का हवाला देते हुए राजस्व वसूली में कमी होने का सारा ठिकरा फोड़ दिया। इतना ही नहीं दिसंबर 2022 में झारखंड स्टेट बीभरेज कारपोरेशन लिमिटेड खुद शराब की थोक विक्रेता बन गयी। नतीजतन थोक विक्रेता कंपनी से हमें किसी तरह का लाभ नहीं मिला। उल्टे 2097 करोड़ की राजस्व वसूली के बाद भी हम पर 400 करोड़ की पेनाल्टी ठोकते हुए सर्टिफिकेट केस कर दिया गया। प्रतिकुल परिस्थितियों में सुमीत फैसिलिटीज, प्राइम वन वर्क फोर्स प्राइवेट लिमिटेड और इगल हंटर सोल्यूसंस लिमिटेड ने झारखंड में काम किया। दुकानों का हैंड ओवर भी हमें मई 2022 में दिया गया, जबकि अक्तूबर, नवंबर 2022 से हम पर कार्रवाई भी शुरू कर दी गयी।