6 से 7 दिनों के सत्र में आधे दिन सदन रहता है स्थगित
झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र 28 जुलाई से शुरु हो चुका है जो 4 अगस्त यानी आज शुक्रवार तक चलेगी। इस मानसून सत्र से झारखंड की आम जनता को काफी उम्मीदें और आशा है परंतु बीते 7 दिनों से सदन में हो-हल्ला और राजनीतिक मनमुटाव के चलते सदन कितनी बार स्थगित करनी पड़ी। इसी हल्ला हंगामे के साथ 1 अगस्त को अनुपूरक बजट प्रस्ताव पारित भी कर दिया गया है। अगर इस बीच इस 7 दिनी सत्र में होने वाले खर्च की बात करें तो पता चलेगा कि सरकार कितनी फिजूल खर्चे करती है। जी हाँ आपको बात दें मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में झारखंड विधानसभा की एक दिन की कार्यवाही में लगभग 1 करोड़ 22 लाख रुपए खर्च होते हैं। सदन की कार्यवाही लगभग 5 से 6 दिनों तक चलती है। हम अगर पूरे सत्र का खर्च जोड़े तो, तो पूरे सत्र का कुल खर्च करीब करीब 7 करोड़ 32 लाख के आस पास होती है,वहीं सदन के एक घंटे की कार्यवाही पर तकरीबन 5 लाख 8 हजार 333 रुपए खर्च होते हैं,सदन में हर मिनट 8 हजार 472 रुपए और हर सेकंड 141 रुपए खर्च होता है।
आपकी जानकारी के लिए बात दें कि ये आंकड़े 2014 के हैं और उस वक्त झारखंड विधानसभा की कार्यवाही पुरानी बिल्डिंग में चलती थी, तब एक दिन का खर्चा एक करोड से भी ऊपर आता था। साल 2019 में झारखंड में लगभग 465 करोड़ की लागत से विधानसभा का नया भवन बनकर तैयार हुआ, उसके बाद सदन की कार्यवाही नए भवन में ही हो रही है। अब आप खुद ही अनुमान लगा लिजिए कि लगभग 10 सालों में जिस तेज गति से महंगाई बढ़ी है तो अब 2023 में विधानसभा में एक दिन के सत्र में कितने करोड़ का खर्चा आता होगा। जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया था कि यह खर्चा हमारे और आपके पॉकेट से ही जाता है, यानी जो टैक्स आम आदमी सरकार को देती है वहीं टैक्स सरकार सदन पर खर्च करती है।
28 जुलाई से झारखंड विधानसभा में मानसून सत्र शुरु हुआ, पहले दिन सदन मात्र एक घंटे तक चला, वहीं सत्र का दूसरा दिन 31जुलाई को था,सदन में हल्ला हंगामे की वजह से सत्र केवल 44 मिनट तक ही चल पाया। इसी तरह तीसरे दिन यानी एक अगस्त को सत्र वैसे 5 बजे तक चला, सिर्फ दो से तीन घंटे की कार्यवाही के लिए सरकार सदन के एक दिन में 1 करोड़ से भी ज्यादा पैसा खर्च करती है। इन पैसों का आंकड़ा देखकर ये तो बिल्कुल साफ है कि सरकार के पास पैसों की कोई कमी नहीं है। जब सरकार सदन में करोड़ों का खर्च करती है तो राज्य की जनता उम्मीद लगाए रहती है कि सदन सुचारु रुप से चलेगी और राज्य हित के लिए अच्छे प्रस्ताव और फैसले लिए जाएगी, लेकिन करोड़ो खर्च करने के बाद भी विधायक दिन भर सिर्फ हो हल्ला कर सदन का समय समाप्त कर देते हैं।