L19/Ranchi : झारखंड प्रीतियोगिता परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक 2023 मानसून सत्र में लाने के बाद इस विधेयक को लेकर विवाद शुरु हो गया है। बता दे की इस विधेयक के कई प्रावधानों पर पक्ष से लेकर विपक्ष तक के नेताओं ने सवाल किया है। विधेयक में प्रावधान है कि यदि प्रश्नपत्र को लेकर किसी व्यक्ति द्वारा दी गई या प्रकाशित की गई कोई सूचना भ्रामक साबित होती है, तो उसपर भी मुकदमा दर्ज किया जाएगा। वहीं जेल भेजे जाने के प्रावधान की भी समीक्षा हो रही है। एक ओर जहां भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यह विधेयक राज्य के लिए काला कानून बनाने जैसा है। वहीं सत्ता पक्ष के विधायक प्रदीप यादव ने भी प्रस्तावित विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि प्रावधानों में परिवर्तन के लिए वे सीएम से बात करेंगे।
वही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि भाजपा इस विधेयक का सड़क से सदन तक विरोध करेगी। क्योंकि इस विधेयक के प्रावधान देशद्रोह, पोक्सो, एसटी, एससी अत्याचार निवारण जैसे कानून से भी अधिक खतरनाक है। जिसमें सवाल खड़े करने वाले अभ्यर्थियों पर 10 साल का प्रतिबंध, बिना प्रारंभिक जांच के एफआईआर दर्ज करने, बिना जांच गिरफ्तार करने और किसी भवन में घुसकर तलाशी लेने का सख्त प्रावधान है। उन्होंने कहा कि यह छात्रों को जेल भेजने के लिए लाया गया काला कानून है। आगे प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड सरकार की नीयत साफ नहीं है। इसलिए यह सरकार लगातार प्रतियोगिता परीक्षाओं में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।
उन्होंने कहा कि झारखंड सिविल सेवा की परीक्षा में एक ही परीक्षा केंद्र से एक ही क्रम वाले रोल नंबर के अभ्यर्थियों के उत्तीर्ण होने का मामला उजागर हो चुका है। इसी तरह जूनियर इंजीनियर की बहाली में पेपर आउट करने का आरोप संस्था पर लगा। इस भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की भरपूर कोशिश की गई, लेकिन प्रबल विरोध के कारण बाद सरकार ने गलती स्वीकारी। दबाव में कुछ नाम भी हटाए गए, लेकिन आज तक उस परीक्षा की ओएमआर शीट जारी नहीं हुई।