L19 DESK : झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार गुरुवार को होनेवाली कैबिनेट की बैठक में उत्पाद नीति पर बड़ा फैसला ले सकती है। इसके कयास लगाये जा रहे हैं। पिछले वर्ष मई महीने में नयी आबकारी नीति सरकार ने लागू की थी। छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के सलाह पर नयी आबकारी नीति लागू कर राजस्व बढ़ाने की अनुशंसा की गयी थी। सरकार ने सीएसएमसीएल को राजस्व वसूली में पिछड़ने का कारण देते हुए इसे हटा दिया। 31 मार्च तक झारखंड को शराब की बिक्री से 2050 करोड़ रुपये राजस्व के रूप में मिले। हालांकि पहले 25 सौ करोड़ के राजस्व वसूली का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। सरकार ने 448 करोड़ रुपये को लेकर चार प्लेसमेंट एजेंसियों के खिलाफ सर्टिफिकेट केस भी कर दिया है। उधऱ सरकार की तरफ से यह दावा किया जा रहा है कि झारखंड स्टेट बीभरेज कारपोरेशन लिमिटेड ही अब शराब का थोक कारोबार करेगी।
सूत्रों का कहना है कि पुरानी व्यवस्था की तर्ज पर ही शराब के खुदरा दुकानों की बंदोबस्ती लाटरी के आधार पर की जायेगी। बताया जाता है कि झारखंड शराब व्यापारी संघ ने भी लॉटरी के आधार पर ही दुकानों की बंदोबस्ती करने की मांग की है। संघ ने कहा है कि वे लोग सलाना 35 सौ करोड़ रुपये तक का रेवेन्यू सरकार को दे सकते हैं। सरकार की तरफ से यह भी फैसला लिया जा सकता है कि नयी व्यवस्था लागू करने में चार महीने का समय लग सकता है। 10 जोन में विभक्त शराब की दुकानों की बोली लगाये जाने से सरकार को अधिक राजस्व मिलेगा। उत्पाद सचिव और उत्पाद आयुक्त से इडी रायपुर की टीम कर चुकी है पूछताछ एक सप्ताह पहले राज्य के उत्पाद सचिव विनय चौबे और उत्पाद आयुक्त करण सत्यार्थी से की जा चुकी है। इन दोनों से छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट के झारखंड कनेक्शन की जानकारी भी मांगी गयी है।