L19 DESK : गरीबों की थाली से टमाटर की चटनी गायब हो गयी है। दिहाड़ी मजदूरी कर 100 से पांच सौ रुपये कमानेवाले कामगार अब अपनी थाली में चटनी नहीं खा रहे हैं। पहले रोटी के साथ पके हुए टमाटर, नमक और मिर्च से चटनी बना कर गरीब कामगार अपना पेट भरते थे। अब महंगाई की मार से टमाटर और मिर्च रसोई और थाली से गायब हो गये हैं। एक सप्ताह पहले तीन रुपये पाव बिकनेवाला हरा मिर्च अब बाजार में 200 से 250 रुपये किलो बिक रहा है. यानी 50 से 83 रुपये पाव। वहीं 30 रुपये किलो बिकनेवाला टमाटर 120 रुपये किलो तक पहुंच गया है। यह सिर्फ रांची की मंडियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे झारखंड और देश भर में टमाटर और हरी मिर्च के भाव में आग लगी हुई है।
महंगाई की यह मार गरीब जनता को नहीं भा रही है। बाजार में हरी सब्जियों के भाव भी सातवें आसमान पर हैं। अदरक, लहसून भी महंगा हो गया है। धनिया पत्ता भी अब 10 रुपये में थोड़ा सा मिल रहा है। फ्रेंच बीन, शिमला मिर्च, गाजर सब 100 रुपये किलो से अधिक दाम पर बिक रहा है. कद्दू, भिंडी की कीमत 20 से 30 रुपये के बीच है. वहीं अन्य सब्जियां जैसे नेनुआ, परवल (नालंदा), परवल (बंगाल) झिंगी, फूल गोभी, पत्ता गोभी सब 40 रुपये से अधिक दर पर बाजार में उपलब्ध है। आम की कीमतें भी अब 60 रुपये से कम नहीं हैं। यानी टमाटर नहीं तो आम के साथ अपना पेट भरने का जुगाड़ भी गरीब कामगार नहीं कर पा रहे हैं।