L19/Ranchi : झारखंड में वाटर पार्क के संचालन को लेकर सरकार के स्तर पर कोई नियमावली नहीं बनायी गयी है। झारखंड की राजधानी रांची के तुपुदाना में बने वाइल्ड वाडी वाटर पार्क में न सिर्फ नियमों का उल्लंघन हो रहा है, पर यहां सुरक्षा के कोई उपाय भी नहीं उपलब्ध कराये गये हैं। 11 एकड़ में फैले इस वाटर पार्क में संचालकों का कहना है कि यहां पर फन गेम्स से लेकर वाटर पार्क, बर्ड पार्क, फिश पार्क, रेस्तरां, होटल और अन्य सुविधाएं दी गयी हैं। इसके संचालन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र किसने दिया यह किसी को भी नहीं मालूम है।
वाटर पार्क नगर निगम क्षेत्र के बाहर हजाम मौजा में स्थित है। ऐसे में संबंधित अंचल के अंचल अधिकारी यानी नामकुम अंचल के सीओ अथवा बीडीओ से एनओसी लिया जाना जरूरी था। वाइल्ड वाडी वाटर पार्क के संचालकों ने पैसे कमाने के लिहाज से वाटर पार्क में तमाम खेल सुविधाएं विकसित की हैं। एक व्यक्ति से चार सौ रुपये से अधिक का टिकट दर प्रवेश शुल्क के रूप में लिया जाता है। सबसे जरूरी बात यह है कि वाटर पार्क में जो पानी लाया जा रहा है, वह लोगों, पर्यटकों के लिए कितना सुरक्षित है। एक स्थानीय अखबार में एक पेज का विज्ञापन देकर यह दावा किया जा रहा है कि पानी का पीएच लेवल 6 से सात के बीच है। इससे क्या वाटर पार्क में उपयोग में लाया जानेवाला पानी मनुष्य के शरीर के लिए सुरक्षित है, इसको लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय गांव वालों का कहना है कि एक तो गलत तरीके से वाटर पार्क बनाया गया है। वाटर पार्क में पानी निकटवर्ती बंद पड़े खदानों और तालाबों से पानी लाया जा रहा है। रोजाना दर्जनों टैंकरों के जरिये पार्क में उपयोग के लिए पानी लाया जा रहा है। संचालकों का कहना है कि पानी को ट्रीट करके उसे पार्क के विभिन्न माध्यमों में छोड़ा जा रहा है। कुछ बोरिंग भी करायी गयी है।
लोकतंत्र 19 की तरफ से उपलब्ध कराये गये टेलीफोन नंबर पर जब संपर्क कर उनका पक्ष लेने की कोशिश की गयी, तो बताया गया कि आप अपना नंबर दे दें, हम प्रोपराइटर को उपलब्ध करा देंगे। लोकतंत्र 19 न्यूज ने पहले भी यह दिखाया है कि वाटर पार्क में उपयोग में लाया जा रहा पानी स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है, क्योंकि यहां प्रदूषित पानी लाया जा रहा है। लोकतंत्र 19 ने यह जानने की कोशिश भी की, कि क्या राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की तरफ से कंसेंट टू आपरेट का लाइसेंस वाटर पार्क के लिए जरूरी है। इस पर वन एवं पर्यावरण विभाग के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक एके रस्तोगी ने कहा कि वाटर पार्क के संचालन को लेकर अभी तक कोई नियमावली नहीं बनायी गयी है। प्रदूषण नियंत्रण पार्षद की तरफ से ऐसे में एनओसी भी नहीं दी जाती है।
चुंकि वाइल्ड वाडी वाटर पार्क नगर निगम क्षेत्र से बाहर है, इसलिए नगर निगम से भी औपचारिक वैधानिक मंजूरी नहीं ली गयी है। इसका फायदा व्यावसायिक रूप से संचालक ले रहे हैं और लुभावने विज्ञापनों के जरिये आम लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। अब यह सवाल उठना लाजिमी है कि वाटर पार्क में घंटों समय बीतानेवाले परिवार के सदस्य जो हमेशा पानी में ही रह रहे हैं, इंजाय कर रहे हैं, उनके शरीर के लिए यहां का पानी कितना स्वास्थयकर है। यानी यदि पानी के संक्रमण से कोई बीमारी फैलती है, तो वह पार्क में घूमनेवाले सभी लोगों को संक्रमित कर सकती है। सिर्फ पानी का पीएच लेवल मेंटेन करने से संक्रमण को रोका नहीं जा सकता है। अमूमन एक फीट तक पानी वाटर पार्क के विभिन्न सेक्सनों में रहता है। राइड के लिए भी पानी की नियमित आवश्यकता होती है। तो पानी का पीएच लेवल, टर्बिडीटी और अन्य अव्यय कैसे मेंटेन किये जाते हैं।
क्या वाटर पार्क में पानी की टेस्टिंग के लिए लैब स्थापित किया गया है, जो पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच करके उसे पार्क में छोड़ रहा है। गंदे पानी को साफ करने की क्या व्यवस्था पार्क में है, इसकी कोई जानकारी संचालकों द्वारा नहीं दी जा रही है। यानी कुल मिला कर कहा जाये, तो वाटर पार्क में लोगों के स्वास्थ्य से सीधा खिलवाड़ किया जा रहा है। इस पर प्रशासन को सख्ती से निबटने की जरूरत है। कहीं लोगों का यह महंगा शौक उनके लिए बीमारी का घर न बने, इस पर राज्य सरकार को भी लगाम लगाने की आवश्यकता है।