L19/Sahibganj : जिला मुख्यालय में भाजपा भले ही संगठन स्तर पर मजबूत हो, लेकिन जिला के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में झामुमो और काँग्रेस गठबंधन की पकड़ गाँव स्तर पर मजबूत है। वैसे तो गोड्डा और पाकुड़ जिला के भी कुछ क्षेत्र बोरियो, बरहेट और राजमहल विधानसभा के अंतर्गत आता है, लेकिन ज्यादातर गाँवो और देहाती क्षेत्रों में झारखंड मुक्ति मोर्चा की पकड़ बहुत ही मजबूत है, और मुस्लिम बहुल इलाकों में काँग्रेस आज भी मौजूद दिखती है। वहीं भारतीय जनता पार्टी साहिबगंज जिला मुख्यालय, कस्बाई क्षेत्रों और छोटे बाजारों में अपनी पकड़ बनाये हुए है। लेकिन 2024 के चुनाव को देखते हुए भाजपा इस बार मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में जुटि हुई है।
संथाल मतदाता झामुमो गठबंधन के सरकार से नाराज दिख रहे हैं
मुस्लिम समुदाय से आने वाले कई लोगों को भाजपा अब तक अपने पार्टी का सदस्यता ग्रहण करवा चुका है और यह प्रक्रिया लगातार जारी है। वोट बैंक की राजनीति में सामुदायिक गोलबंदी का खेल। जिला के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में आदिवासी संथाल समुदाय सबसे प्रभावशाली है, उसके बाद सदान यानी की गैर आदिवासी हिंदू और तीसरे में मुसलमान। लेकिन राजमहल विधानसभा में मुसलमान सबसे बड़ा फैक्टर है, क्योंकि राजमहल विधानसभा में मुस्लिम समुदाय की आबादी सबसे प्रभावशाली है, और राजनीतिक गलियारों में यह कही जाती रही है कि मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर मतदान करते हैं। यही कारण है कि भाजपा वोट बैंक तैयार करने में जुटि है, जबकि पहले से ही संथाल मतदाता झामुमो गठबंधन के हेमंत सोरेन सरकार से नाराज दिख रहे हैं।
हजारों संथाल समुदाय के युवा लगातार भाजपा से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ रहे
क्योंकि जिले के आम आदिवासी संथाल युवकों का कहना है कि हेमंत सोरेन की सरकार स्थानीय नीति, नियोजन नीति, एसपीटी एक्ट जैसे कई मुद्दों पर चुनाव लड़ कर सरकार बनायी थी। लेकिन सरकार बनने के चार साल होने को है लेकिन सरकार ईमानदारी से अपने चुनावी वादों को पूरा नहीं कर रही। यही वजह है कि हजारों संथाल समुदाय के युवा लगातार भाजपा से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ रहे हैं, भाजपा के एसटी मोर्चा के जिलाध्यक्ष सलखु सोरेन लगातार आदिवासी युवाओं को भाजपा से जोड़ रहे हैं। बोरियो से पूर्व भाजपा विधायक प्रत्याशी सूर्यनारायण हाँसदा भी गाँव गाँव जाकर आदिवासी युवाओं और ग्रामीण युवकों से संपर्क साध कर भाजपा सरकार की नीति और कार्यशैली को बताने में लगी है।
राजमहल लोकसभा सीट से ताला मरांडी को चुनाव लड़ाने की तैयारी
वर्तमान बोरियो विधानसभा से बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रोम के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वहीं भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व विधायक ताला मरांडी भी अब क्षेत्र में लगातार अपनी मौजूदगी दिखा रहे हैं, इनके बारे में कहा जाता है क्षेत्र में भले ही विधायक रहते इन्होंने कुछ खास काम नहीं किया है, लेकिन लोगों से जुड़े थे, छवि भी साफ सुथरी है और संथाल परगना में पार्टी के पुराने सिपाही के तौर पर भी इनकी अपनी पहचान है, इसके साथ ही जनता और पार्टी के एक धड़े का कहना है कि राजमहल लोकसभा सीट से ताला मरांडी को चुनाव लड़ाने की तैयारी संगठन कर रही है।
संभावी उम्मीदवार ताला मरांडी के द्वारा लगातार मुस्लिम समुदाय को पार्टी से जोड़ा जा रहा है
मुस्लिम समुदाय के लोगों को ताला मरांडी के द्वारा सबसे ज्यादा पार्टी से जोड़ा जा रहा है, कारण यह है कि पिछली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम फैक्टर के कारण भाजपा यहाँ से चुनाव हार गयी थी। उस समय झामुमो गठबंधन से विजय कुमार हाँसदा जीते थे, और भाजपा गठबंधन से हेमलाल मुर्मू को कड़े टक्कर में हार मिली थी। क्योंकि मुस्लिम इलाकों में भाजपा के पक्ष में मतदान बिल्कुल नहीं के बराबर हुई थी, इसलिए इस बार भाजपा और उसके संभावी उम्मीदवार ताला मरांडी के द्वारा लगातार मुस्लिम फैक्टर को अपने पार्टी से जोड़ा जा रहा है। लोबिन हेम्ब्रोम के पार्टी खिलाफत से झामुमो हो रही कमजोर।
विधायक लोबिन हेम्ब्रोम लगातार अपने सरकार के खिलाफ ही पत्ता खोले हुए
बोरियो से वर्तमान झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रोम लगातार अपने सरकार के खिलाफ ही पत्ता खोले हुए हैं, उनका कहना है पार्टी जिन मुद्दों से चुनाव जीत कर सरकार बनाई उन वादाओं को पूरा नहीं कर रही, उनके खिलाफत के कारण हेमंत सोरेन की सरकार और खुद मुख्यमंत्री भी नाराज दिख रहे हैं। और अंदरखाने यह बात कही जा रही है कि लोबिन हेम्ब्रोम को इस बार बोरियो विधानसभा से झामुमो टिकट नहीं देने वाली है, और यही कारण है कि झामुमो के पूर्व नेता हेमलाल मुर्मू की घर वापसी की गयी है, और चर्चा यह भी है कि भाजपा को छोड़ अपने पुराने घर झामुमो में आने वाले हेमलाल मुर्मू को बोरियो विधानसभा से टिकट देने की बात लगभग तय है।
बरहेट के झामुमो कार्यकर्ता दो गुट में बात गए है
यही कारण है कि बोरियो, बरहेट और राजमहल विधानसभा में अपना गहरा पैठ रखने वाले लोबिन हेम्ब्रोम झामुमो से खासा नाराज दिख रहे हैं जबकि लोबिन हेम्ब्रोम की लोकप्रियता संथाल और मुस्लिम समुदाय में बहुत गहरे स्तर तक है, और झामुमो से नाराज और झामुमो का इनके प्रति कड़ा रवैया, क्षेत्र के जनता और कार्यकर्ताओं को असमंजस की स्थिति में ला खड़ा कर दिया है। पुराने झामुमो के कार्यकर्ता तो यह कहते हुए मिल जाते हैं कि हमलोग किधर जाएँ समझ नहीं आता, क्योंकि लोबिन हेम्ब्रोम से व्यक्तिगत संबंध बहुत ही अच्छा है तो पार्टी को वो लोग छोड़ नहीं सकते। वजह यह बन गया है कि बोरियो और बरहेट के झामुमो कार्यकर्ता अभी दो गुट में साफ बँट चुके हैं एक गुट लोबिन हेम्ब्रोम के तरफ है तो दूसरा गुट हेमलाल मुर्मू और झामुमो पार्टी के पक्ष में।
शायद झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रोम पार्टी छोड़ भाजपा में जा सकते हैं
भीतरखाने यह बात भी पूरे संथाल परगना में चर्चा का विषय बना हुआ है कि शायद झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रोम पार्टी छोड़ भाजपा में जा सकते हैं और इसकी तैयारी भी जोरों पर चल रही है। और इसकी एक गवाह भी पिछले दिनों आ गयी जब पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास से लोबिन हेम्ब्रोम के छोटे भाई का बंद कमरे में मिलना हुआ। इसके बाद तो यह चर्चा चारों तरफ है कि भाजपा में लोबिन हेम्ब्रोम जल्द ही शामिल हो सकते हैं और उन्हें बरहेट विधानसभा से चुनाव लड़ाया जा सकता है, हालाँकि यह सिर्फ अभी चर्चा में है। इस स्थिति में लोबिन हेम्ब्रोम के कई कार्यकर्ता भाजपा के नीतियों का समर्थन करते दिख जा रहे हैं चाहे वह कार्यकर्ता क्यों ना मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखता हो।
बाबूलाल मरांडी कई बार संथाल परगना का दौरा कर चुके हैं
इधर भाजपा के आला अधिकारी और प्रदेश नेतृत्व लगातार संथाल परगना का दौरा कर रहे हैं, और अपने कोर टीम को मजबूत करने में लगे हैं, सूबे के सबसे बड़े आदिवासी भाजपाई चेहरा बाबूलाल मरांडी कई बार संथाल परगना का दौरा कर चुके हैं, लेकिन खास बात यह है कि साहिबगंज जिला उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह जिला सूबे के मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन का चुनावी जिला है, और हाल के वर्षों में अवैध खनन, रेबिका पहाड़ीन हत्याकांड, ईडी प्रकरण और बांग्लादेशी घुसपैठिये के लिए खासा चर्चा में रहा है। कुल मिलाकर भाजपा के कार्यकर्ता यह कहते हुए दिख जायेंगे कि इस बार जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की जीत होगी। तो वहीं झामुमो के कार्यकर्ता दो गुटों में साफ तौर पर नजर आ रहे हैं, और यह कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा में मुस्लिम युवाओं के जुड़ने से झामुमो को नुकसान नहीं होती दिख रही है।